घी अत्यंत पौष्टिक वस्तु है। यह दिल, दिमाग तथा शरीर को ताकत देता है। गाय के घी में रोगनाशक गुण पाए जाते हैं। भैंस का घी गाय के घी की अपेक्षा भारी रहता है। घी कई प्रकार का होता है- सौधे दूध से निकला घी, दही से निकला घी व तपाया घो। दूध से निकाला हुआ घी शीतल होता है।
घी वातनाशक, स्मरणशक्ति बढ़ाने वाला, नेत्रों के लिए हितकारी, ज्वर तथा रक्तविकार में लाभदायक होता है। गाय का ताजा घी सूंघने पर आधासीसी का दर्द दूर होता है। गरम-गरम ताजा घी पीने से हिचकी में लाभ होता है। जिस व्यक्ति ने अफीम अधिक खा ली हो उसे गाय का दूध और घी मिलाकर पिलाने से अफीम का विष उतर जाता है।
भोजन के बाद घी में कालीमिर्च का चूर्ण मिलाकर पीने से स्वर भंग का दोष दूर होता है। शरीर के किसी हिस्से में जलन हो तो वहां पुराना घी मलने से लाभ होता है। जिस व्यक्ति को बिच्छू ने काटा हो उस स्थान पर गाय के घी में संधा नमक मिलाकर मालिश करने से जहर दूर हो जाता है।
गाय के घी में अजवायन गरम करें। छानकर 2-3 बूंद कुनकुना घी कान में डालने से दर्द ठीक हो जाता है। यदि शराब का नशा चढ़ गया हो तो 20 ग्राम घी में 10 ग्राम शक्कर मिलाकर चाटने से नशा हल्का हो जाता है। गाय के ताजा घी की मालिश करने से छोटे बच्चों की छाती में सर्दी में कफ से होने वाली तकलीफ दूर होती है। जल जाने पर धोया हुआ गाय का घी मलने से शीघ्र आराम मिलता है। सर्दी में होंठ या बिवाई फटने पर गाय का ताजा घी लगाएं।
ताजा घी सूंघने से नाक से खून बहना बंद हो जाता है। यदि गर्भवती स्त्री को अचानक रक्तस्राव होने लगे तो 100 बार धोया हुआ गाय का ताजा घी खिलाए तुरंत रक्तस्राव बंद हो जाएगा। मिर्गी में मूर्च्छा आने पर 10 साल पुराना घी सुंघाने पर तुरंत होश आ जाता है।
खांसी व श्वास रोग में गले पर घी की मालिश करने से लाभ होता है। 100 साल पुराना घी आठ दिन तक दिन में एक बार सुंघाने से पागल व्यक्ति ठीक हो जाता है। शरीर के किसी भी भाग में दर्द होने पर एक बूंद ‘पौराणिक घी’ की मालिश करने से दर्द शीघ्र मिटता है। यदि किसी भी प्रकार का विष खा लिया हो तो एक बूंद ‘पौराणिक घी’ चटाने से विष का प्रभाव दूर हो जाता है।
सांप के काटने पर जरा-सा ‘पौराणिक घी’ की मालिश करने से विष का प्रभाव खत्म हो जाता है। गर्मी से सिरदर्द हो तो गाय के ताजा ठण्डे घी की मालिश करें। जरा-सा पुराना घी चाटने से उल्टी रुक जाती है।
3-4 वर्ष पुराने घी की मालिश करने से दाद दूर हो जाते हैं। पुराने घी की मालिश करने से कुष्ठ रोग में लाभ होता है।
पुराने घी की 2-3 बार मालिश करने से बवासीर के मस्से बैठ जाते हैं। यदि ठण्ड से सिरदर्द हो तो गाय का ताजा घी गरम करके सिर की मालिश करने से सिरदर्द ढिक हो जाता हे ।देशी घी के सही तरीके से प्रयोग करने से शरीर की अतिरिक्त वसा घटती है एवं शरीर पुष्ट होता है।