चावल धान का फल है। धान के बीज को छीलकर उसके अन्दर जो गिरी निकलती है, वही चावल कहलाता है। चावल को हिन्दी में धान संस्कृत में धान्य, शालि तथा तन्दुल कहते हैं। भारतवर्ष में धान की खेती लगभग सभी जगह की जाती है। यह भारतवर्ष में एक मुख्य भोजन है। चावल से भात ही नहीं अनेक खाद्य वस्तुएं तैयार की जाती हैं। भोजन के साथ-साथ चावल शरीर में औषधि का काम भी करता है ।
चावल मधुर, फीका व स्वभाव से शीतल होता है। चावल वात-कफ को कुपित करने वाला, पित्तनाशक और मूत्रल होता है। चावल बलकारक, रुचिकारक, वीर्यवर्द्धक, पौष्टिक तथा स्वर को शुद्ध करने वाला होता है। चावल शरीर को मोटा करता है। चावल शरीर में रौनक पैदा करता है, खराब स्वप्न बन्द हो जाते हैं तथा फेफड़े के जख्म को भर देता है।
लाल चावल पेशाब सम्बन्धी बीमारिया, प्यास और शरीर की जलन को दूर करता है। इसको जोश देकर पीने से पेशाब साफ़ आता है। काले धान का चावल ज्वरनाशक हैं, भूख बढ़ाता है, कामेन्द्रिय को ताकत देता है। एक साल का पुराना चावल वात-पित्त और कफ को दूर करता है। तीन साल का पुराना चावल कृमियों को नष्ट करता है, शरीर के ओज को बढ़ाता है, प्रसूति-काल में स्त्रियों के लिए यह लाभदायक है।
चावल फेफड़ों की बीमारी, क्षय, वक्षस्थल के रोग और कफ के साथ खून जाने की बीमारी में लाभदायक माना जाता है। उबाला हुआ चावल पाचन-क्रिया की विकृति, आंतों का विकार और अतिसार में लाभदायक है। चावल का पानी ज्वर और अंतड़ियों की जलन में शान्तिदायक पदार्थ की तरह दिया जाता है।
अतिसार या पेचिश के रोगियों के लिए चावल एक उत्तम खाद्य पदार्थ है। सफ़ेद चावलों को पानी में भिगोकर उस पानी से चेहरे को धोने से चेहरे की झाईयां मिटकर रंग साफ़ हो जाता है। चावलों के पानी में मोतियों को धोने से मोती की चमक-दमक बढ़ जाती है।
चावल को भूनकर, उसको रात-भर पानी में भिगोकर, उस पानी को सवेरे पीने से दे के कीड़े मर जाते हैं। आंखों के जख्म, खून के दस्त, गुर्दे तथा मसाने की बीमारियों में लाल चावल लाभ पहुंचाते हैं।
सफेद चावल जोड़ने वाले तत्व की तरह कार्य करता है, जिसकी वजह से आपका मल सख्त हो जाता है।
सफेद चावल में फाइबर की मात्रा बेहद कम होती है, इसलिए यह पचाने में बेहद ही आसान होते हैं।
इसके साथ ही इनमें कार्बोहाइड्रेट की अधिकता आपको ऊर्जा प्रदान करने का कार्य करती है। सफेद चावल में आयरन और अन्य पोषक तत्व भी पाए जाते हैं, जो दस्त में आराम पहुंचाने में मदद करते हैं।
चावल में पर्याप्त मात्रा में रेसिसटेंट स्टार्च होता है जो आपके पेट को प्रभावित करता है। प्रेग्नेंसी में मल त्याग करने की प्रक्रिया को आसान और सामान्य करने के लिए रेसिसटेंट स्टार्च पेट में फायदेमंद बैक्टीरिया को बढ़ाते हैं।
इससे महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान होने वाली कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं जैसे कब्ज और बवासीर से बचने में मदद मिलती है। पाचन संबंधी समस्या होने पर डॉक्टर आपको कम फाइबर वाले आहार खाने की सलाह देते हैं। कम फाइबर वाले आहार से आपके पाचन तंत्र को आराम मिलता है और अतिरक्ति दबाव नहीं पड़ता है।
इस तरह के आहार कुछ समय तक खाने की सलाह दी जाती है और कम फाइबर वाले आहार से क्रोहन रोग, आंतों में सूजन, इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज और अन्य पाचन संबंधी विकारों के कारण होने वाले लक्षणों को कम करने में भी मदद मिलती है।