आज ऐसा कोई नहीं जो धोनी को नहीं पहचानता हो बच्चों से लेके बड़ों तक सब जानते हे अपने धोनी को।महेंद्र सिंह धोनी अपनी धाकड़ बल्लेबाजी और करिश्माई कप्तानी के लिए पूरी दुनिया में जाने जाते हैं। धोनी ने अपने शांत दिमाग और शातिर दिमाग से टीम इंडिया को कई हारे हुए मैच जिताए। उन्होंने विकेटकीपर की परिभाषा को ही बदल कर रख दिया और वह दुनिया के सबसे बड़े फिनिशर बनकर उभरे, लेकिन जब तक धोनी भारतीय टीम की तरफ से खेले तब तक किसी और विकेटकीपर के लिए टीम इंडिया में जगह बनाना बहुत ही टेढ़ी खीर रही। आज हम बात करेंगे ऐसे ही विकेटकीपर्स के बारे में, जो धोनी के कारण टीम में जगह नहीं बना पाए और 2 ने तो मजबूरी में संन्यास ले लिया।
दिनेश कार्तिक
दिनेश कार्तिक को सेलेक्टर्स ने कभी उतने मौके नहीं दिए, जितने करियर के शुरुआत में महेंद्र सिंह धोनी (MS Dhoni) को दिए गए। कार्तिक हमेशा ही धोनी की परछाई में छिप गए। धोनी के विराट खेल के आगे इस खिलाड़ी का प्रदर्शन हमेशा ही नजरअंदाज किया गया। धोनी के चलते कार्तिक कभी भी टीम इंडिया में अपनी स्थाई जगह नहीं बना पाए और वह हमेशा ही टीम से अंदर-बाहर होते रहे। कार्तिक ने 2004 में टीम इंडिया के लिए ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपना टेस्ट डेब्यू किया था। उन्होंने भारत के लिए 26 टेस्ट, 94 वनडे मैच और 32 टी20 खेले हैं। कार्तिक काफी दिनों से टीम इंडिया से बाहर चल रहे हैं। उनकी जगह युवा विकेटकीपर बल्लेबाज ऋषभ पंत ने ले ली है। कार्तिक ने अभी संन्यास की घोषणा नहीं की है।
पार्थिव पटेल
पार्थिव पटेल (Parthiv Patel) ने अपना टेस्ट डेब्यू 2002 में इंग्लैंड के खिलाफ किया था। उस समय वह केवल 17 साल के ही थे और वह भारत की तरफ से टेस्ट डेब्यू करने वाले सबसे युवा विकेटकीपर बल्लेबाज बने। पटेल टीम में महेंद्र सिंह धोनी से पहले आए थे, लेकिन वह अपनी खराब फॉर्म की वजह से कभी भी टीम में स्थाई जगह नहीं बना सके। पार्थिव पटेल ने भारत के लिए 25 टेस्ट और 38 वनडे इंटरनेशनल मैच खेले। टेस्ट में पार्थिव के नाम 934, जबकि वनडे में उनके नाम 736 रन दर्ज है। पार्थिव ने दो टी20 इंटरनेशनल मैचों भी हिस्सा लिया। टेस्ट में उन्होंने 62 कैच लपके और 10 स्टंप भी किए। आईपीएल (IPL) में पार्थिव कई टीमों के लिए खेले, जिसमें चेन्नई सुपर किंग्स (CSK), सनराइजर्स हैदराबाद (SRH) और मुंबई इंडियंस शामिल हैं। पटेल ने 2020 में क्रिकेट के सभी फॉर्मेट से संन्यास लेने का ऐलान किया था। रिटायरमेंट के बाद पार्थिव पटेल ने कमेंटेटर के तौर पर अपनी पारी की शुरुआत की है।
नमन ओझा
क्या आप कभी सोच सकते हैं कि रणजी ट्रॉफी में भी सबसे ज्यादा शिकार का रिकॉर्ड रखने वाला विकेटकीपर भी टीम इंडिया से बाहर बैठ सकता है। नमन ओझा को हमेशा ही सेलेक्टर्स ने नजरअंदाज किया। धोनी को हमेशा ही इस खिलाड़ी पर तरजीह दी गई। उन्होंने 2010 में अपने इंटरनेशनल क्रिकेट की शुरूआत की थी। नमन ओझा ने जिम्बाब्वे के खिलाफ वनडे और टी-20 फॉर्मेट में डेब्यू किया था। उन्होंने 2015 में अपना आखिरी इंटरनेशनल क्रिकेट मैच श्रीलंका के खिलाफ खेला था। ओझा ने टीम इंडिया के लिए 1 टेस्ट, 1 वनडे और 2 टी20 मैच खेले। ओझा के नाम रणजी ट्रॉफी में विकेटकीपर के रूप में 351 शिकार करने का रिकॉर्ड है। ओझा को जब भारतीय टीम से बाहर हुए कई साल हो गए, तब उन्होंने फरवरी 2021 में क्रिकेट से संन्यास ले लिया।