इंग्लैंड के तूफानी ऑलराउंडर मोईन अली की फैमिली एक समय पर बहुत गरीब थी। उनके पास पेटभर खाने के भी पैसे नहीं थे। सैंडविच और खीरा खाकर गुजारा करना पड़ता था। उनके पिता मुर्गियां बेचते थे। उससे मिले पैसे से वह अगले दिन क्रिकेट खेलने के लिए ट्रैवल करते थे, लेकिन उनके पिता का जुनून था कि वह क्रिकेटर बनें।
संघर्ष के बारे के सोच कर आज भी रोंगटे खड़े हो जाते है
बस अपने पिता के सपने को साकार करने की जिद ने ही मोईन अली को दुनिया के सर्वश्रेष्ठ ऑलराउंडरों में शामिल करा दिया। चेन्नई सुपर किंग्स के हरफनमौला खिलाड़ी मोईन अली ने अपनी क्रिकेट यात्रा में संघर्षों को लेकर खुलासा किया है। उन्होंने कहा कि जिस कठिन हालात में उन्होंने खेलना शुरू किया, उसके बारे में सोचने मात्र से आज उनके रोंगटे खड़े हो जाते हैं।
संकल्प और जुनून से आज इस मुकाम पर पहुंचे
मोईन ने सीएसके के साथ IPL 2021 सीजन में UAE में अपना चौथा खिताब हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। टीम ने उन्हें 8 करोड़ रुपये में रिटेन किया है। मोईन ने अपने संघर्षों के बारे में खुलकर बातचीत की। उन्होंने कहा कि खेल के लिए दृढ़ संकल्प और जुनून ने उन्हें बाधाओं को दूर करने में कैसे मदद की। उन्होंने खुलासा किया कि उनके परिवार के पास एक पाउंड भी नहीं होते थे, जिससे उन्हें सैंडविच या खीरे पर जीवित रहने के लिए मजबूर होना पड़ा था।
19 साल के थे तब हार्ड बोल से क्रिकेट खेला
34 वर्षीय ऑलराउंडर ने कहा, “मेरे पिताजी में क्रिकेट को लेकर बहुत बड़ा जुनून था। उनके जुड़वां भाई भी थे। परिवार में हम 5 थे। मुझे बस याद है कि जब मैं 8 साल का था। तब मैंने पार्क में अपने भाइयों के साथ खेलना शुरू किया और मुझे लगा कि वे भी बेहतर हो रहे हैं। इसलिए, जब मैं 19 साल का था, तब मैंने एक ट्रायल दिया और फिर मैंने पहली बार किसी के साथ हार्ड बॉल से क्रिकेट खेला।”
पेट्रोल और भोजन का खर्च भी नहीं उठा सकते थे पिता
मोईन ने कहा, “यह शुरुआत थी, जब मैं जल्द ही कम उम्र में काउंटी क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था और साथ ही खेल से प्यार करते हुए अच्छा कर रहा था, लेकिन क्रिकेट मेरे पिताजी का जुनून था और हम बस इसे खेलते चले गए।” मोईन ने कहा कि उनके पिता को बहुत मुश्किल से अपना काम और बच्चों को काउंटी खेलों के लिए ले जाना पड़ता था, यह कहते हुए कि कभी-कभी वह पेट्रोल और कभी-कभी भोजन का खर्च नहीं उठा सकते थे।
संघर्ष में मा और काकी ने भी साथ दिया
मोईन बताते हैं कहा, “मेरे संघर्ष में यह सिर्फ मेरे पिताजी और चाचा ही नहीं थे। मेरी मां और चाची भी कपड़े तैयार करने में मदद करती थी, ताकि सब कुछ समय पर हो जाए। यह बहुत-बहुत कठिन समय था, लेकिन हमारे लिए सबसे अच्छा समय था।”
अपने पैड भी नहीं थे
उन्होंने आगे कहा, “यह उन कई कहानियों में से एक थी, जहां आर्थिक रूप से हम वास्तव में संघर्ष कर रहे थे। मेरे चाचा और पिताजी अगले मैच के लिए मुर्गियां बेचते थे। मेरे पास एक समय में अपने पैड भी नहीं थे। मैं अभ्यास के लिए अपने पिता के दोस्त के बेटे के पैड का उपयोग करता था। इसलिए, बहुत कठिन लेकिन आश्चर्यजनक दिन थे। मैं बहुत जल्दी पेशेवर खिलाड़ी बन गया और चीजें बेहतर और बेहतर होती चली गई।”