अतिबला पीले फूल वाला एक बेदर ही सुंदर पौधा होता है, इसके पत्तों का स्वाद हल्का तीखा व कड़वा होता है। इसे कंघी के नाम से भी जाना जाता है। अतिबला में अनगिनत स्वास्थ्यवर्धक गुण पाए जाते हैं और हजारों सालों से आयुर्वेद में कई प्रकार की दवाएं बनाने के लिए अतिबला का इस्तेमाल किया जा रहा है। अतिबला पौधे के पत्तों, फूल और बीज में कई अलग-अलग प्रकार के स्वास्थ्यवर्धक गुण पाए जाते हैं और इसलिए इसका इस्तेमाल एक घरेलू उपचार के रूप में भी किया जाता है। आजकल मार्केट में अतिबला के पत्तों का चूर्ण, रस और बीज आदि आसानी से मिल जाते हैं।
अतिबला के फायदे :
अतिबला के बीजों में बवासीर कम करने वाले खास गुण हैं। इनका सेवन करने से घाव जल्दी ठीक होने लगता है और दर्द भी कम हो जाता है, जो बवासीर में बेहद उपयोगी है। अतिबला शरीर में जाकर एक एंटीडायबिटिक का काम करता है। इसके पत्तों का सेवन से रक्त मे शर्करा का स्तर कम हो जाता है।
आयुर्वेद के अनुसार अतिबला के पत्तों व जड़ों में खास प्रकार के तत्व होते हैं, जिनसे पथरी बनने की समस्या कम हो जाती है। इन तत्वों के प्रभाव से पथरी पेशाब में घुलने लग जाती है और धीरे-धीरे शरीर से बाहर आने लगती है। अतिबला में बलगम को पतला करने वाले गुण भी पाए जाते हैं। इसका सेवन करने से खांसी के साथ अंदर जमी बलगम बाहर निकल जाता है और रोग का जड़ से इलाज हो जाता है।
हालांकि, अतिबला से प्राप्त होने वाले उपरोक्त लाभ प्रमुख रूप से पारंपरिक चिकित्सा विधियों और कुछ अध्ययनों पर आधारित हैं। इसका प्रभाव हर व्यक्ति के शरीर पर अलग-अलग हो सकता है।
अतिबला के नुकसान:
अतिबला का एक दवा के रूप में सेवन करना आमतौर पर सुरक्षित रहता है। इसका अधिक मात्रा में इस्तेमाल करने से यह शरीर में विषाक्त प्रभाव पैदा कर सकता है, इसका अधिक मात्रा मे उपयोग करने से पेट ओर सिर में दर्द, सीने में जलन, उल्टीभी हो सकती है। गर्भवती या अन्य रोगियों को अतिबला से कुछ अलग व गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं भी हो सकती हैं।
अतिबला का उपयोग कैसे करें:
अतिबला का इस्तेमाल इस तरीकों से किया जाता है। इसको आप काढ़ा बनाकर या फिर पत्तों के चूर्ण को गर्म पानी के साथ भी पी सकते है।