अमरूद एक ऐसा फल है जो हर मौसम में पसंद किया जाता है। एक तरह से बाजार में कई फल बिकते हैं, लेकिन अमरूद आज भी मिलता है। खासकर भारत में इसे बेहद पसंद किया जाता है। लेकिन, अगर आपसे पूछा जाए कि आप हर बार अमरूद खरीदने बाजार जाते हैं तो आपका जवाब क्या होगा? शायद आपका जवाब ‘हां’ है।
लेकिन, अगर आपसे कहा जाए कि चंद दिनों की मेहनत में आप आसानी से घर के गमले में स्वादिष्ट अमरूद उगा सकते हैं, तो आपका जवाब क्या होगा? जी हां, आज इस लेख में हम आपको कुछ ऐसे टिप्स बताने जा रहे हैं, जिन्हें अपनाकर आप आसानी से घर पर गमले में अमरूद का पौधा लगा सकते हैं, तो आइए जानते हैं।
किसी भी सब्जी, फूल या फल को गमले में उगाने के लिए बीज का सही होना बहुत जरूरी है। अगर बीज सही नहीं होगा तो आप कितनी भी कोशिश कर लें, अमरूद का पौधा कभी नहीं उगेगा। इसलिए बीज का चुनाव सोच-समझकर करें। आप सही बीज खरीदने के लिए इधर-उधर जाए बिना बीज की दुकान पर जा सकते हैं।
बीज भंडार में अच्छे और सस्ते बीज भी मिल जाते हैं। बीज लेते समय आपको केवल छोटे पौधों वाले बीजों का ही चयन करना चाहिए क्योंकि आपको उन्हें गमलों में लगाना है। अमरूद के बीज लेने के बाद मिट्टी तैयार करने का समय आ गया है.
कम से कम एक दिन के लिए आप जिस मिट्टी को गमले में धूप में रखने जा रहे हैं, उस मिट्टी को खरोंचना सुनिश्चित करें। इससे मिट्टी नर्म होती है, जिससे अमरूद का पौधा अच्छी तरह से बढ़ता है। धूप में रखने से मिट्टी में मौजूद कीट भी दूर हो जाते हैं। इस मिट्टी में एक से दो कप खाद डालकर अच्छी तरह मिला लें
मिट्टी तैयार होने के बाद इसे किसी बर्तन में डाल दें। गमले में मिट्टी डालने के बाद बीज को लगभग 2-3 इंच मिट्टी के अंदर डालें और ऊपर से थोड़ी मिट्टी रख दें. आप चाहें तो अमरूद को दो से तीन भागों में काटकर बीज के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं। खैर, ऊपर से मिट्टी डालने के बाद थोड़ा सा कम्पोस्ट डालना न भूलें। खाद डालने के बाद एक से दो माप पानी डालें।
खाद की शुद्धता भी पौधों की वृद्धि के लिए बहुत जरूरी है। कई बार रासायनिक खाद के प्रयोग से बीज मर जाते हैं। ऐसे में रासायनिक खाद की अपेक्षा प्राकृतिक खाद का ही प्रयोग करना बेहतर है। प्राकृतिक खाद में आप गाय के गोबर, भैंस के गोबर आदि का प्रयोग कर सकते हैं। इसके अलावा आप सब्जी के छिलके, चाय की पत्ती, अंडे के छिलके, बचे हुए चावल आदि का भी जैविक खाद के रूप में उपयोग कर सकते हैं।
बीजों को हमेशा मौसम से बचाने की कोशिश करें। खासकर बरसात के मौसम में इस बात का ध्यान रखें कि गमले में ज्यादा पानी न गिरे। लगभग दो से तीन महीने बाद जब बीज पौधे के रूप में तैयार हो जाते हैं तो समय-समय पर प्राकृतिक औषधि का छिड़काव किया जाता है।
आप नीम, पुदीना आदि का उपयोग कीटनाशक स्प्रे के रूप में कर सकते हैं। समय-समय पर एक से दो मग पानी भी डाला जाता है। जब आपको लगे कि पौधा बढ़ रहा है तो गमले में लकड़ी लगाएं ताकि उस लकड़ी की मदद से पेड़ ऊपर की ओर बढ़ सके। करीब आठ से नौ महीने बाद पौधे में अमरूद दिखने लगते हैं।
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