नेत्र यानी आंखें हर मनुष्य का परम धन हैं। नेत्र जीवधारियों का वह अंग है जो प्रकाश के प्रति संवेदनशील है। हमारे पौराणिक शास्त्रों में नेत्र रोग दूर करने के लिए कुछ विशेष बातें कहीं गई है, जो बहुत ही लाभदायक हैं।
अधिक ठंड, अधिक गर्मी या आंखों में धूल जाने से या आंखों में किसी संक्रामक बीमारी के कारण दर्द होना शुरू हो जाता है और आंखों आ जाती है।इस कारण आंखों से पानी निकलता है और आंखें लाल हो जाती है।आंखों में से कीचड़ निकलना शुरू हो जाता है।
एक तोला हल्दी को एक पाव पानी में औटाकर कपड़छन कर लें तथा ठंडा होने पर एक-एक बूंद आंखों में डाले इसी तरह हल्दी की गांठ को पत्थर पर पानी के साथ घिसे और सलाई से आंखों मे लगाए। दर्द और सूजन में आराम मिलेगा।
सफेद प्याज का रस आंखों में लगाने से दर्द में कमी होती है।त्रिफला चूर्ण घी और शहद मिलाकर खाने से आंखों की बीमारी दूर होती है।देसी गाय का घी आंखों में लगाने से जलन दूर होती है।
धनिया आंखों के लिए बड़ा गुणकारी होता है। थोड़ा-सा धनिया कूट कर पानी में उबाल कर ठंडा करें और मोटे कपड़े से छान कर शीशी में भर लें। इसकी 2-2 बूंद आंखों में डालने से आंखों की जलन, दर्द तथा पानी गिरना जैसी समस्याएं दूर होती हैं।
हल्दी, फिटकरी और इमली के पत्तों को बराबर मात्रा में लेकर पीसे और उसकी पुल्टिस से आंखों की सेक करें।गुलाब जल में फूली फिटकरी डालकर आंखों को धोने से जलन एवं सूजन समाप्त होती है। केवल गुलाबजल डालने से भी आंखों में राहत मिलती है।
शुद्ध देसी गाय के घी में थोड़ी सी काली मिर्च मिलाकर सुबह-शाम सेवन करें।बथुए के रस को एक एक बूंद करके आंखों में डालें।आंखों के लिए स्वस्थ भोजन और अच्छी नींद से कभी भी समझौता न करें। खाने में हरी सब्जियां, अंकुरित अनाज आदि का अधिकाधिक सेवन करें।
दिन में पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं, ताकि आप के शरीर की गंदगी बाहर निकले और शरीर के अंगों में पानी बनी रहे। यह नमी आंखों के लिए भी जरूरी है।कंप्यूटर पर काम करते समय बीच-बीच में ब्रेक लें और पलके झपकाते रहें। कड़कड़ाती धूप में अल्ट्रावायलेट किरणें आप की आंखों पर सीधे तौर से प्रहार करती है।
इसलिए धूप में जाते समय छतरी का उपयोग करें और आंखों पर धूप का चश्मा लगाएं जिससे आप की आंखों का बचाव हो सके। सौ ग्राम गुलाबजल, 2 ग्राम फिटकरी तथा रत्ती भर काली मिर्च का पेस्ट बनाएं तथा आंखों में लगाए।तुलसी के पत्तों का रस पी आंखों में डालने से लाभ होता है।
इसी प्रकार बेल की पत्तियों का रस पी लाभप्रद है।त्रिफला चूर्ण का सेवन शहद के साथ करें तथा रात में भिगोए हुए त्रिफला के पानी से आंखें धोने से काफी आराम मिलेगा। गुलाब जल, ताजे खीरे का रस और थोड़ा सा ठंडा दूध मिलाकर इसमें रुई के फोटो को भिगोकर पलकों के ऊपर रखें।आंखों में अनार का रस डालने से भी काफी लाभ होता है।
आंखों की पलकों के ऊपर कोने में फुंसी निकल आने को गुहेरी कहते हैं। यह एक गांठ की तरह होती है और हल्का हल्का दर्द भी होता है। इमली के बीजों को घिसकर लगाने से गुहेरी में आराम मिलता है।लौंग को पानी में घिसकर लगाने से भी गुहेरी बैठ जाती है।रात में भिगोए हुए त्रिफला चूर्ण के पानी से आंखों को छापे मार कर धोएं। यह बीमारी में काफी लाभ होता है।
बकरी का दूध गुजरी पर लगाने से आराम मिलता है।रसौत घिसकर लगाने से काफी लाभ होता है।गुलाब जल में छोटी हरड़ को पीसकर लेप करने से लाभ मिलता है।अनार का रस आंखों में डालने से काफी लाभ होता है।
गुलाब जल में रसौद, फूली हुई फिटकरी, सेंधा नमक और मिश्री समान मात्रा में मिलाएं और आंखों में एक-एक बूंद डालें।गुलाब जल में थोड़ा फिटकरी का पानी मिलाकर डालने से गुजरी बैठ जाती है।छुआरे की गुठली को सील पर घिसकर गुहेरी पर लगाए।
अत्यधिक धूल, तीव्र प्रकाश और दूषित पर्यावरण के कारण रतौंधी होती है।इसमें रोगी को रात्रि में बिल्कुल नहीं दिखाई देता तथा दिन में ठीक दिखाई देता है। तुलसी के पत्तों का रस दिन में तीन चार बार आंखों में डालें।सफेद प्याज का रस आंखों में डालने से रतौंधी में लाभ होता है।देसी गाय का मूत्र आंखों में डालने से काफी लाभ होता है।हरे धनिए का रस आंखों में डालने से लाभ होता है।
आंखों में शुद्ध शहद लगाने से भी काफी आराम मिलता है।प्रतिदिन रात्रि विश्राम से पहले त्रिफला चूर्ण का सेवन करें और रात्रि में भिगोए हुए त्रिफला के पानी से आंखों को धोएं।बथुये के पत्तों का रस आंखों में डालने से रतौंधी ठीक होती है।
गुलाब जल में शुद्ध रसौत, फूली हुई फिटकरी और जरा सा सेंधा नमक मिलाकर शीशी में भर लें और प्रतिदिन आंखों में डालें।
गुलाब जल में ताजे खीरे का रस और अनार का रस मिलाकर बूंद बूंद डालने से आराम मिलता है। दूब का रस आंखों में डालने से काफी आराम मिलता है।करेले के पत्तों के रस में थोड़ा काली मिर्च पीसकर मिलाएं और आंखों के बाहरी हिस्से पर लगाए।
इस बीमारी में आंखों की पुतली पर सफेदी आती है और रोगी की दृष्टि धुंधली पड़ जाती है।धब्बा धीरे धीरे देखने की क्षमता को बाधित कर देता है। इसके होने के कई कारण होते हैं, लेकिन निश्चित इलाज से इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। यह रोग प्रायः बुद्धा अवस्था में होता है।
सुबह-शाम एक गिलास गाजर का रस पीने से मोतियाबिंद में लाभ होता है।रात में पानी में भिगोए हुए लहसुन की कलियों को प्रात: काल उठकर खाए और पानी पिए। मोतियाबिंद में लाभ होगा।शुद्ध शहद आंखों में लगाने से भी मोतियाबिंद में लाभ होता है।
सूखा धनिया, सौंफ और देसी शक्कर बराबर मात्रा में मिलाकर पाउडर बनाई सुबह-शाम जल के साथ सेवन करें।अंकुरित गेहूं और अंकुरित चना खाने से मोतियाबिंद में लाभ होता है।सफेद प्याज का रस और शहद 1 अनुपात 2 की मात्रा में गुलाब जल में मिलाए और आंखों में डालने से मोतियाबिंद दूर होता है