भारत में ऐसे कई चमत्कारी पत्थर हैं। जिसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। इन रहस्यमय पत्थरों से दिलचस्प कहानियां जुड़ी हुई हैं और ये सदियों पुरानी हैं। आज हम भारत के विभिन्न कोनों में स्थित इन पत्थरों के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं।
चेन्नई के महाबलीपुरम में एक विशाल पत्थर की ढलान वाली पहाड़ी पर, यह बिना लुढ़के 45 डिग्री के कोण पर टिकी हुई है। सदियों से लोग इन पत्थरों को ऐसे ही देखते आ रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि ये पत्थर बिना किसी सहारे के 45 डिग्री के कोण पर हैं। इस पत्थर से जुड़ी कई कहानियां हैं। कहा जाता है कि ये कोई साधारण पत्थर नहीं हैं।
यह पत्थर भगवान कृये पत्थर कृष्ण के बटर बॉल के नाम से प्रसिद्ध हैं। इसे कृष्ण के प्रिय भोजन मक्खन का प्रतीक माना जाता है। लोगों के मुताबिक यह पत्थर खुद स्वर्ग से गिरा है। पत्थर के आकार की बात करें तो यह पत्थर 20 फीट ऊंचा और 5 मीटर चौड़ा है। इसका वजन करीब 250 टन बताया जा रहा है।ष्ण से संबंधित है।
हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती यानी ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह में एक खास पत्थर भी है। तारागढ़ पहाड़ी की तलहटी में स्थित इस पत्थर के बारे में कहा जाता है कि एक बार यह पत्थर एक व्यक्ति पर गिरने ही वाला था। उस व्यक्ति को ख्वाजा साहब की याद आ गई और उसने इस पत्थर को हवा में रोक दिया।
तब से ये पत्थर जमीन से दो इंच ऊपर हे। तारागढ़ पहाड़ी की तलहटी में इस पत्थर को देखने के लिए दूर-दूर से लोग यहां आते हैं। ये पत्थर छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में स्थित छिंदकालो गांव में मौजूद हैं। यह चमत्कारी पत्थर मधुर ध्वनि करता है। इससे कोई अन्य वस्तु या पत्थर टकराने पर मधुर ध्वनि निकलती है।
वैज्ञानिकों ने इस पत्थर के रहस्य को जानने की बहुत कोशिश की लेकिन नाकाम रहे। इस पत्थर से यह आवाज कैसे आती है यह आज तक कोई नहीं जानता। गांव के लोगों ने इस पत्थर का नाम ‘थिनथिनी पत्थर’ रखा है। जबकि इसका असली नाम फोनोटिक स्टोन है।
चेरापूंजी में एक छोटी सी चट्टान पर एक बहुत बड़ी चट्टान खड़ी है। इस चट्टान का संतुलन एक छोटे से पत्थर पर बना हुआ है। यहां के लोगों के मुताबिक ये पत्थर सालों से इस हालत में हैं। चाहे भूकंप हो या तूफान पत्थर को अपनी जगह से हिला देता है।
पुणे-बेंगलुरु हाईवे पर मुंबई से 180 किमी दूर शिवपुर गांव में हजरत कमर अली दरवेश बाबा की दरगाह है. यहां 700 साल पहले सूफी संत हजरत कमर अली को दफनाया गया था। इस दरगाह के परिसर में करीब 90 किलो पत्थर रखा हुआ है। ये पत्थर इतने भारी होने के बाद भी तर्जनी ऊपर उठती है। यदि 11 लोग सूफी संत का नाम लेकर अपनी तर्जनी उंगली से इस पत्थर को उठाते हैं तो यह पत्थर ऊपर उठता है।