यदि बिच्छू के काटने पर तुरंत उपचार न किया जाए तो इसका जहर हृदय, स्नायुओं और सीने की मांसपेशियों में लकवा उत्पन्न कर देता है। जब हृदय को लकवा हो जाए तो वह निष्क्रिय हो जाता है और व्यक्ति मर भी सकता है। बिच्छू का डंक लगते ही शरीर में तीव्र जलन होती है तथा शीघ्र ही विष पूरे शरीर में फैलकर अंगों में दर्द करने लगता है। उस जगह पर 24 घण्टे तक पीडा रहती है।
बिच्छू दंश वाली जगह पर मूली काटकर रगड़ने से विष का प्रभाव कम हो जाता है। गाय के घी में सोंठ मिलाकर खिलाने से विष का प्रभाव कम हो जाता है। कपूर का तेल लगाने से बिच्छू का विष तुरंत उतर जाता है।
नौसादर को पानी में घोलकर रूई के फाहे से दंश पर लगाने से विष का प्रभाव कम हो जाता है। दंश प्रभावित स्थान पर अमृतधारा लगाने से बिच्छू का विष उतर जाता है। अमलतास के बीजों को पानी के साथ घिसकर लेपने से शीघ्र लाभ होता है।
जीरे का चूर्ण, दूब के रस के साथ देने से बिच्छू का विष उतर जाता है। लहसुन की 2-3 कलियों को नमक के साथ पीसकर दंश पर लेप करने से शीघ्र लाभ होता है। नीबू का रस दंश पर लगाने से विष का प्रभाव कम हो जाता है।
बिच्छू के दंश पर पोटेशियम परमेंगनेट दवा छिड़ककर, फिर टाटरी पीसकर लगाने से विष तुरंत उतर जाता है। नमक व जीरा पीसकर उसमें घी व शहद मिलाकर कुनकुना गरम कर लें। इस लेप को बिच्छू दंश वाले स्थान पर लगाने से विष शीघ्र उतर जाता है
इमली के बीज (चियां) को घिसकर डंक वाले स्थान पर लगाने से यह उसके विष को खींचता है। शुद्ध घी में थोड़ा-सा सेंधा नमक मिलाकर डंक वाले स्थान पर लगाने से राहत मिलती है। खेतों में बिच्छू के काटने पर साफ मिट्टी को पानी से गीली करके घाव पर लगाने से पीड़ा कम हो जाती है। मिट्टी बिना रासायनिक खाद मिली होनी चाहिए।
दंश पर संखिया को पीसकर गाढ़ा लेप करने से पीड़ा शांत होती है। निर्मली के बीज को पानी में घिसकर दंश पर लेप करने से बिच्छू विष की वेदना दूर होती है। अपामार्ग की पत्तियों को हाथ से मसलकर, रस निचोड़ कर डंक वाली जगह पर कुछ देर मर्दन करते रहें तो बिच्छू का विष नष्ट हो जाता है।
सत्यानाशी की जड़ को पानी में घिसकर दंश लेप करने से विष उतर जाता है। जमालगोटे को नीबू के रस या पानी में पीसकर दंश पर लेप करने से दर्द मिटता है। अजवायन के सत्व को पानी में घोलकर दश पर लगाने से लाभ होता है ।
गाय का घी व सेंधा समभाग मिलाकर गरम कर देश पर मलने से लाभ होता है। गरम पानी में नमक मिलाकर दंश को बार-बार धोने से भी पीड़ा शांत होती है।बिच्छू के काटे पर तुलसी के पत्तों को नीबू के रस में पीसकर लेप करने से लाभ होता है। बिच्छू के दंश पर तारपीन के तेल का लेप करने से भी लाभ होता है। यदि जंगल में या किसी निर्जन स्थान पर अचानक बिच्छू काट ले तो दंश पर स्वमूत्र लगा लेने से पीड़ा कम हो जाती है।
बिच्छू के काटने पर गाय के गोबर को गरम करके लगाने से राहत मिलती है।प्रायः बिच्छू के काटने पर उस जगह सूजन आ जाती है। यदि भृंगराज के पत्तों को मसलकर उस जगह पर लगा दें तो सूजन उतर जाती है और पीड़ा भी कम हो जाती है। कसौदी की जड़ को पानी में महीन पीसकर दंश पर मोटा लेप करने से बिच्छू का विष उतर जाता है। पीसी लालमिर्च को पानी मे भिगोकर प्रभावित स्थान पर लगाने से डंक का प्रभाव समाप्त हो जाता हे
यदि बिच्छू के काटने पर तुरंत उपचार न किया जाए तो इसका जहर हृदय, स्नायुओं और सीने की मांसपेशियों में लकवा उत्पन्न कर देता है। जब हृदय को लकवा हो जाए तो वह निष्क्रिय हो जाता है और व्यक्ति मर भी सकता है। बिच्छू का डंक लगते ही शरीर में तीव्र जलन होती है तथा शीघ्र ही विष पूरे शरीर में फैलकर अंगों में दर्द करने लगता है। उस जगह पर 24 घण्टे तक पीडा रहती है।
बिच्छू दंश वाली जगह पर मूली काटकर रगड़ने से विष का प्रभाव कम हो जाता है। गाय के घी में सोंठ मिलाकर खिलाने से विष का प्रभाव कम हो जाता है। कपूर का तेल लगाने से बिच्छू का विष तुरंत उतर जाता है।
नौसादर को पानी में घोलकर रूई के फाहे से दंश पर लगाने से विष का प्रभाव कम हो जाता है। दंश प्रभावित स्थान पर अमृतधारा लगाने से बिच्छू का विष उतर जाता है। अमलतास के बीजों को पानी के साथ घिसकर लेपने से शीघ्र लाभ होता है।
जीरे का चूर्ण, दूब के रस के साथ देने से बिच्छू का विष उतर जाता है। लहसुन की 2-3 कलियों को नमक के साथ पीसकर दंश पर लेप करने से शीघ्र लाभ होता है। नीबू का रस दंश पर लगाने से विष का प्रभाव कम हो जाता है।
बिच्छू के दंश पर पोटेशियम परमेंगनेट दवा छिड़ककर, फिर टाटरी पीसकर लगाने से विष तुरंत उतर जाता है। नमक व जीरा पीसकर उसमें घी व शहद मिलाकर कुनकुना गरम कर लें। इस लेप को बिच्छू दंश वाले स्थान पर लगाने से विष शीघ्र उतर जाता है
इमली के बीज (चियां) को घिसकर डंक वाले स्थान पर लगाने से यह उसके विष को खींचता है। शुद्ध घी में थोड़ा-सा सेंधा नमक मिलाकर डंक वाले स्थान पर लगाने से राहत मिलती है। खेतों में बिच्छू के काटने पर साफ मिट्टी को पानी से गीली करके घाव पर लगाने से पीड़ा कम हो जाती है। मिट्टी बिना रासायनिक खाद मिली होनी चाहिए।
दंश पर संखिया को पीसकर गाढ़ा लेप करने से पीड़ा शांत होती है। निर्मली के बीज को पानी में घिसकर दंश पर लेप करने से बिच्छू विष की वेदना दूर होती है। अपामार्ग की पत्तियों को हाथ से मसलकर, रस निचोड़ कर डंक वाली जगह पर कुछ देर मर्दन करते रहें तो बिच्छू का विष नष्ट हो जाता है।
सत्यानाशी की जड़ को पानी में घिसकर दंश लेप करने से विष उतर जाता है। जमालगोटे को नीबू के रस या पानी में पीसकर दंश पर लेप करने से दर्द मिटता है। अजवायन के सत्व को पानी में घोलकर दश पर लगाने से लाभ होता है ।
गाय का घी व सेंधा समभाग मिलाकर गरम कर देश पर मलने से लाभ होता है। गरम पानी में नमक मिलाकर दंश को बार-बार धोने से भी पीड़ा शांत होती है।बिच्छू के काटे पर तुलसी के पत्तों को नीबू के रस में पीसकर लेप करने से लाभ होता है। बिच्छू के दंश पर तारपीन के तेल का लेप करने से भी लाभ होता है। यदि जंगल में या किसी निर्जन स्थान पर अचानक बिच्छू काट ले तो दंश पर स्वमूत्र लगा लेने से पीड़ा कम हो जाती है।
बिच्छू के काटने पर गाय के गोबर को गरम करके लगाने से राहत मिलती है। प्रायः बिच्छू के काटने पर उस जगह सूजन आ जाती है। यदि भृंगराज के पत्तों को मसलकर उस जगह पर लगा दें तो सूजन उतर जाती है और पीड़ा भी कम हो जाती है। कसौदी की जड़ को पानी में महीन पीसकर दंश पर मोटा लेप करने से बिच्छू का विष उतर जाता है। पीसी लालमिर्च को पानी मे भिगोकर प्रभावित स्थान पर लगाने से डंक का प्रभाव समाप्त हो जाता हे
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