हिन्दू शास्त्रों में कई तरह के शास्त्रों का समावेश किया गया है जिसमे से एक है वास्तु शास्त्। वास्तुशास्त्र में कई तरह के नियम तय किए गए हैं, हर नियम के पीछे एक खास वजह होती है। यदि कई काम और चीज़ें वास्तुशास्त्र के हिसाब से न हो, तो घर में तरह-तरह की परेशानियां आनी शुरू हो जाती हैं। इसलिए घर में कुछ भी नया खरीदने से पहले या कुछ भी शुभ काम करने से पहले वास्तु शास्त्र के नियम का ध्यान रखना चाहिए। ऐसी ही एक टिप्स लेके आये है आज हम जिसमे बताने जा रहे है दशहरे के दिन की जाने वाली पूजा की दिशा के बारे में।
आज का दिन यानि की दशहरा के दिन अपराजिता देवी की पूजा की जाती है। इसके लिये दोपहर बाद ईशान कोण, यानी उत्तर-पूर्व दिशा में जाकर साफ-सुथरी भूमि पर गोबर से लीपन करके उसी जगह पर चंदन से आठ पत्तियों वाला कमल का फूल बनाकर इस आकृति के बीच में अपराजिता देवी की पूजा करनी चाहिए जबकि आकृति के दाहिनी ओर जया की पूजा और बायीं ओर विजया की पूजा होती है। इस तरह से पूजा करने से वास्तु दोष नहीं लगता और पूजा का फल अवश्य मिलता है।
दशहरा के दिन दूसरी पूजा शमी की की जाती है।इस पूजा के लिया गांव के बाहर उत्तर-पूर्व दिशा में शमी के पौधे की पूजा करनी चाहिए। ऐसा करने से यात्राओं में किसी प्रकार की परेशानी नहीं आती। घर के बाहर शमी का पौधा लगा भी सकते हैं। इससे निगेटिव एनर्जी घर के अन्दर नहीं आ पायेगी और सदैव घरमे खुशिया बानी रहती है।