अध्ययन ने गहरे महासागरों के 700 मीटर नीचे तक जरूरी जानकारी जुटाई है। इस अध्ययन के आधार पर वैज्ञानिकों ने पूर्वानुमान लगाया है कि महासागरों में इतनी गहराई में तापमान अगले 50 सालों में अधिक गर्मी से 0.2 डिग्री सेल्सियस का का इजाफा हो जाएगा।
इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने उत्तर अटलांटिक महासागर में गहराई के अनुसार तापमान के वितरण का भी आंकलन किया और पाया कि गहराई में गर्मी ज्यादा मात्रा में पहुंची है और पाया है कि जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग के आंकलन के अध्ययनों में गहरे महासागरों को शामिल करना होगा।
एक्सेटर यूनिवर्सिटी और ब्रेस्ट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने आंकलन किया है जिसके मुताबिक अगले 50 सालों में गहरे महासागर 0.2 डिग्री सेल्सियस और ज्यादा गर्म हो जाएगें। महासागरों के गर्म होने के कई नतीजे होंगे जिसें समुद्र जलस्तर का बढ़ना, परास्थितिकी तंत्रों, धाराओं और उनके रसायन में बदलाव के साथ डीऑक्सजीनेशन शामिल होंगे।
एक्सेटर यूनिवर्सिटी की डॉ मरियो जे मसाया ने बताया, “जैसे जैसे हमारा ग्रह गर्म हो रहा है, यह समझना जरूरी है कि अतिरिक्त ऊष्मा को महासागर ले रहे हैं और उन्हें अपने अंदर ही सतह से लेकर गहराई तक पुनर्वितरित कर रहे हैं। यह बात ध्यान में रखनी होगी कि पृथ्वी के ऊर्जा असंतुलन में वृद्धि का आंकलन करते समय हमें गहरे महासागरों को भी शामिल करना होगा।”
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