एचआईवी वायरस के कारण होने वाले एड्स को एक लाइलाज बीमारी माना जाता है। इसमें शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने से मरीज को बचाया नहीं जा सकता है। हालांकि, अमेरिका में, एचआईवी संक्रमित महिला की बिमारी पूरी तरह से ठीक होने के बारे में जानकारी मिली है। इसी की साथ ही वह एचआईवी को मात देने वाली पहली अमेरिकी महिला भी बन चुकी है। अमेरिका में डॉक्टरों ने स्टेम सेल प्रत्यारोपण के माध्यम से यह सफलता हासिल की है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार स्टेम सेल एक ऐसे व्यक्ति से डोनेट किया गया जिसमें एचआईवी जैसे खतरनाक वायरस से लड़ने की प्राकृतिक प्रतिरोधक क्षमता थी। शोधकर्ताओं का मानना था कि महिला के इलाज के लिए जिस तरीके का इस्तेमाल किया गया है, उसका इस्तेमाल पहले कभी नहीं किया गया था। महिला न केवल 14 महीने तक पूरी तरह स्वस्थ है बल्कि उसमें एचआईवी के कोई लक्षण भी नहीं दिखे हैं।
इंटरनेशनल एड्स सोसाइटी के अध्यक्ष शरण लेविन ने भी पुष्टि की कि एड्स पूरी तरह से ठीक हो चुका है। हैरानी की बात यह है कि एक भी दवा चालू रखी नहीं है। हालांकि इस महिला को एचआईवी को मात देने वाली पहली महिला माना जाता है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इसके पहले दक्षिण अमेरिकी मूल के किसी पुरुष का पहला स्टेम सेल ट्रांसप्लांट हुआ था।
एचआईवी के अलावा ल्यूकेमिया के इलाज के लिए जिसमें पहली बार गर्भाशय के रक्त का इस्तेमाल किया गया था। यह अध्ययन का नेतृत्व कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, लॉस एंजिल्स के डॉ. इवान ब्रायसन और जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय, बाल्टीमोर के डॉ. डेबरा परसौद ने किया था। इस अध्ययन का उद्देश्य 25 एचआईवी रोगियों में स्टेम सेल बदल के लाइलाज बीमारी का इलाज करना था।
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