1. नादिर शाह का खजाना
फारसी आक्रमणकारी नादिरशाह ने साल 1739 में 50 हजार सैनिकों के साथ भारत पर आक्रमण किया था। इस आक्रमण में उसने दिल्ली के खजाने को लूट लिया। हमले में इतनी अधिक मात्रा में बेशकीमती संपत्ति लूटी गई थी कि अनुमान लगाना मुश्किल है। लेकिन उसी के सैनिकों ने उसे मौत के घाट उतार दिया। नादिर शाह के मरने के बाद यह खजाना अहमद शाह ने अपने कब्जे में ले लिया। कुछ समय बाद उसकी भी मौत हो गई। कहा जाता है कि उसने इस खजाने को कहीं छुपा दिया था। खजाने में शामिल ‘पीकॉक थ्रोन’ नामक रत्न जड़ित सिंहासन वर्तमान में ईरान में है।
2.राजा मान सिंह का खजाना
मान सिंह प्रथम अकबर के दरबार में ऊंचे ओहदे पर थे। 1580 में मान सिंह ने अफगानिस्तान पर जीत हासिल की थी। माना जाता है कि इस जीत में मिले खजाने को मान सिंह ने किसी स्थान पर छिपा दिया था। यह कहानी कितनी ठोस थी, इसका पता इस बात से चलता है कि आजादी के बाद इमरजेंसी के दौरान तत्कालीन केंद्र सरकार ने इस खजाने को खोजने का आदेश दिया था। इसको लेकर लंबे समय तक सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप भी हुए थे। आधिकारिक रूप से यह खजाना अभी भी किस्से कहानियों का हिस्सा बना हुआ है और माना जाता है कि यह अभी भी किसी गुप्त स्थान पर छिपा हुआ है।
3. सोनभद्र की गुफाओं में छिपा खजाना
बिहार के नालंदा जिले में स्थित एक छोटा सा गांव है राजगीर जहां सोनभद्र की गुफाएं स्थित हैं। इन गुफाओं को सोन भंडार के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि ऐसी मान्यता है कि इन गुफाओं में सोने से भरा एक बेशकीमती खजाना है, जिसे आज तक कोई नहीं खोज पाया है। यह गुफाएं राजा बिम्बिसार ने बनवाए थी और इनके पीछे का उद्देश्य भी सोने को छिपाने का ही था। इस गुफा के मुख्य द्वार पर एक चट्टान है जिसने इसे बंद किया हुआ है। अंग्रेजों ने अपने तोपों से इस चट्टान को हटाने क प्रयास किया लेकिन फिर भी वह उसे खोल नहीं पाएं, आज भी उन तोपों से निकली गोलों के निशान यहां मौजूद हैं।
4. कृष्णा नदी का खजाना
आंध्र प्रदेश के गुंटूर में कृष्णा नदी के तटीय इलाके काफी समय से अपने हीरों के लिए प्रसिद्ध थे। एक समय में यह इलाका गोलकुंडा राज्य में शामिल था। विश्व प्रसिद्ध कोहिनूर हीरा भी यहीं की खदानों से निकाला गया था। माना जाता है कि इलाके में कृष्णा नदी के तट पर कई हीरे खोजे जाने का इंतजार कर रहे हैं।