गेहूँ को संस्कृत में क्षीरी, अरूपा, बहुदुग्धा, म्लेच्छभोजन, पवना तथा कनक कहते हैं। गेहूँ भारतवर्ष का प्रमुख अनाज है। भारतवर्ष में सभी जगह, विशेषकर पंजाब, राजस्थान, उत्तर तथा मध्य भारत में इसको रबी की प्रमुख फसल के रूप में जाना जाता है। गेहूँ पीला, लाल व सफ़ेद रंग का होता है।
गेहूँ फीका, कुछ-कुछ मीठा, पौष्टिक तथा शीतल होता है। यह एक उत्तम पौष्टिक आहार है। तन्दुरुस्ती के लिए यह सभी अनाजों में उत्तम है। यह वीर्यवर्धक, भारी, कामोद्दीपक, रुचिकारक, देह को स्थिर रखने वाला, वात-पित्तनाशक तथा बादी व सूजन नाशक है।
गेहूँ और चनों का समान भाग औंटाकार उसका पानी रोगी को नियमित पिलाने से वृक्क, गुर्दा तथा मूत्राशय की पथरी मूत्र के साथ गलकर बाहर आ जाती है। डेढ तोला गेहूँ और दो माशे सेंधा नमक को पाव-भर पानी में औंटाकर तिहाई पानी रहने पर छानकर पिलाने से सात दिन में खांसी मिट जाती है।
त्वचा पर इसके आटे का ठण्डा या गरम लेप करने से वहां पर की दाह, खुजली, अग्नि जला हुआ तथा फोड़े-फुंसी मिट जाते हैं। दो तोले गेहूँ के सत्व को रात में भिगोकर सुबह पीने से मूत्र की जलन व रुकने की बीमारी समाप्त हो जाती है।
गेहूँ को दांत से चबाकर उसे गिल्टियों पर लेप करने से गिल्टी पक जाती है। गेहूँ के आ की पुल्टिस घी और नीम के स्वरस के साथ पकाई जाये और हल्का गरम रहने पर बादी व फुंसी पर बांधे, तो फायदा होता है।
अगर आपको अपने शरीर का रक्त साफ करना है तो गेहूं को नियमित खाना शुरू कर दीजिए। गेहूं रक्त को साफ करने में मदद करता है। जो लोग अपने वजन को लेकर परेशान हैं वह लोग अपने आहार मे मैदा को छोड़कर गेहूं खाना शुरू कर दें।
गेहूं के उपयोग से आप का वजन कम होना सुरू हो जाएगा सांसों की बदबू आने का एक कारण यह भी होता है की आप खाना सही नही खा रहे हैं। अगर आप गेहूं का उपयोग करेंगे तो आप के सांसों से बदबू नहीं आएगी।
अगर आपको हड्डी में दर्द या सूजन रहती है तो आपको गेहूं की रोटी या फिर गेहूं की ब्रेड खानी चाहिए।
गेहूं का उपयोग शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं का निर्माण करता है। अगर आप इस का रोज सेवन करें तो आप के शरीर में कभी भी लाल रक्त कोशिकाओं की कमी नहीं होगी और आप एनीमिया जैसी बीमारी से दूर रहेगें।
गेहूं में बहुत अधिक मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है जो हमारे सम्पूर्ण शरीर के विकास के लिए बहुत ही अच्छा होता है। तो आज से ही मैदा युक्त आहार छोड़े और गेहूं से बने आहार का ही उपयोग करें।
अगर आप 30 की उम्र को पार कर चुके हैं तो आप को गुर्दे की समस्या (गुर्दे की पथरी) हो सकती है।
गेहूं में स्टोन को गलाने का गुण होता है। इस का रोजाना उपयोग आप के गुर्दे की पथरी को गला सकता है। 20 ग्राम गेहूं के दानों में नमक मिलाकर 250 ग्राम पानी में उबाल लें। जब तक की पानी की मात्रा एक तिहाई न रह जाए। इसे गरम-गरम पी लें। लगातार एक हफ्ते तक यह प्रयोग दोहराने से खांसी जल्दी चली जाती है।
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