गुड की संस्कृत में गुड़ तथा रमाल कहते हैं। गुड़ एक प्रसिद्ध वस्तु है। गन्ने के रस को बड़ी भट्टी में अच्छी तरह गाढ़ा बनने तक पका लिया जाता है। बाद में इसे ठण्डा होने पर दो सेर की भेली या गिदोड़े बनाकर बाजार में बेचने के लिए भेजा जाता है।
गुड़ में विटामिन ए, बी, सी तथा आयरन व फारफोरस पाये जाते हैं। गुण धर्म: गुड मीठा, गरम व खुश्क होता है। गुड़ श्वास रोग, खांसी, उदरकृमि आदि रोगों में लाभदायक है। गुड़ 10 ग्राम, शुद्ध सरसों का तेल 10 ग्राम- इन दोनों को मिलाकर प्रात: सायं 1-1 चम्मच चटाने से श्वास रोग व खांसी में लाभ होता है।
शति ऋतु में गुड़ और काले तिल के लड्डू बनायें। इसे प्रातः व सायं प्रयोग करने से खांसी, श्वास रोग, ब्रोंकाईटस आदि रोग दूर होते हैं। इससे यह रोग उत्पन्न नहीं होंगे। पुराना गुड़ खुश्क करके पीस लें। इसमें सोंठ पीसकर मिला लें। इसे सूंघने से हिचकी आना बन्द हो जाती है। गुड़ 12 ग्राम, घी 6 ग्राम–दोनों को मिला लें, प्रातः सूर्य निकलने से पूर्व और रात को सोते समय खाना लाभकारी है।
इसको कुछ दिन प्रयोग करने से आधाशीशी समाप्त हो जाता है। यदि शरीर में कहीं भी कांच, कांटा या पत्थर आदि चुभ जाये और बाहर न निकले, तो गुड़ और अजवायन गरम करके बांधने से वह वस्तु स्वयं बाहर निकल जायेगी। यदि पेट में कीड़े हो गये हों. तो रोगी को रात को सोते समय गुड़ खिलायें।
इससे उदरकृमि बाहर निकल जायेंगे। वर्ण व दर्द को दूर करने के लिए गुड़ की पुल्टिस बनाकर बांधने से लाभ होता है। जुकाम और सिरदर्द होने की दशा में थोड़ा सा गुड़ और भुना हुआ अदरक गरम पानी में सोने से पहले प्रयोग करने से लाभ होता है। चूर्ण हरड़ 10 ग्राम, चूर्ण इन्द्रायण एक ग्राम, इसमें 30 ग्राम गुड़ मिलाकर प्रातः, दोपहर व सायं प्रयोग करें।
इसके साथ ही प्याज़ का रस, गुड़ और हल्दी के साथ घोटकर सूंघना चाहिए। पकी नीम की निमोली पुराने गुड़ के साथ दिन में 3 बार खिलाने से बवासीर में राहत मिलती है। यदि मलेरिया ज्वर न उतर रहा हो, तो गुड़ व काले जीरे का चूर्ण मिलाकर खिलायें।
इससे लाभ होगा। मलेरिया आने से पहले 2-2 घण्टे के अन्तर से भी दिया जा सकता है । गुड़ 50 ग्राम, अनारदाना 25 ग्राम, काली मिर्च 7.5 ग्राम, पीपल के पत्ते 4 ग्राम,जौ खार 4 ग्राम, समस्त औषधियों को मिला लें।
5 ग्राम चूर्ण अर्ध गरम पानी के साथ प्रात: व सायं देने से खांसी जाती रहती है। गुड़ व जौखार बराबर-बराबर वजन लें। प्रातः सायं खिलायें। इससे मूत्र का रुक-रुककर आना ठीक हो जाता है।
गुड़ 200 ग्राम, चूर्ण हरड़ 100 ग्राम, सोंठ 35 ग्राम, काली मिर्च 30 ग्राम, पीपल के पत्ते 40 ग्राम, दालचीनी 30 ग्राम, तेजपात 30 ग्राम- समस्त औषधियों को भली-भांति कूट पीसकर 25-25 ग्राम के लड्डू बनाकर प्रात: व सायं गरम पानी के साथ प्रयोग करने से पेट की गैस, खांसी, संग्रहणी, बवासीर और पैरों की सूजन आदि ठीक हो जाते हैं।
बहुत ज्यादा थकान और कमजोरी महसूस करने वाले लोगो को भी गुड़ बहुत फायदा करता है। गुड़ जल्दी पच जाता है, इससे शुगर भी नहीं बढ़ती और आपका एनर्जी लेवल बढ़ जाता है। दिनभर काम करने के बाद जब भी आपको थकान हो, तुरंत गुड़ खायें थकान कुछ ही देर में दूर हो जाएगी।