इन रोगों को गुप्त इसलिए कहा जाता है क्योंकि इनके बारे में खुलकर बातचीत करने में व्यक्ति संकोच करता है। यह संकोच ही इनके बढ़ने का मुख्य कारण है। इन रोगों के बारे में इस समझ का होना जरूरी है
ये भी अन्य रोगों की तरह ही एक रोग है। कारण- पति-पत्नी को सहवास में अरुचि हो, नपुंसकता या काम काम-शक्ति भाव का ठहराव कम होने पर प्याज जादू-सा असर करता है। एक चम्मच शहद और एक चम्मच ताजा प्याज का रस मिलाकर सुबह-शाम दो खुराक लें।
दो सप्ताह के नियमित सेवन से ही काम भाव भड़क उठेगा। नामर्दी नामर्दी के नाम पर अनेक वैद्य-नीम हकीमों ने शर्तिया इलाज की दुकानें खोल रखी हैं, लेकिन यहां जाकर सिर्फ पैसा खर्च होता है। हाथ कुछ नहीं लगता। एक कप प्याज का छना रस और एक कप शहद मिलाकर शीशी में भर लें। सुबह, दोपहर और शाम एक-एक चम्मच सेवन करें।
इधर शीशी खाली होगी, उधर आप ओज से भर उठेंगे। यह रसायन स्त्री-पुरुष दोनों के लिए उपयोगी है। प्रमेह रोग से पुरुषों में नपुंसकता आती है। इसमें मूत्र मार्ग से वीर्य स्खलन जारी रहने से पुरुष अंततः स्त्री के योग्य नहीं रहता।
प्याज की चटनी सलाद को भोजन के साथ नियमित रूप से इस्तेमाल करना चाहिए। 0 दिन में एक बार आधा कप प्याज के रस में जोड़कर पीने से भी काफी लाभ होता है।
गर्म मसाले, तैलीय पदार्थ, अश्लील साहित्य आदि से बचना चाहिए। इसमें स्त्रियों के यौनांग से पानी सा रिसता रहता है, जिसके लगातार होने से स्त्रियां मां तक बनने से वंचित हो सकती हैं। प्रदर सफेद, पीला अथवा लाल रंग को हो सकता है।
एक चम्मच शहद व एक चम्मच प्याज का रस दिन में तीन चार सेवन करें। यदि प्रदर के दौरान ज्वर का प्रकोप भी होने लगे तो समान मात्रा में प्याज,अदरक व ग्वारपाठे के रस में शहद अच्छी तरह मिलाएं और एक शीशी में भरकर दो दिन के लिए धूप में रख दें।
उसके बाद सुबह-शाम एक एक चम्मच सेवन करें। प्रदर-ज्वर जड़ से उखड़ जाएगा और नई उत्तेजना प्राप्त होगी। शक्ति में कमी होने पर दो बड़ी सफेद प्याज के टुकड़े, एक चम्मच किशमिश, चार छुहारे, दो चम्मच घी, आधा किलो दूध व 1 चुटकी पिसी छोटी इलायची लें।
घी गर्म करके प्याज को हल्का सुनहरा भूनें फिर किशमिश, कटे छुहारे दूध डाल दें और 8-10 मिनट तक खूब खौलाएं फिर इलायची डालकर उतार लें और घूंट-घूंट भरकर पूरा पी जाएं। सोते समय नियमित एक माह सेवन करें और स्वयं को महाबली बनाएं।
शुक्र दुर्बलता में वीर्य पतला रहता है और यहां तक कि नपुंसकता आ जाती है। इससे निजात पाने के लिए एक मर्तबान में आधा किलो शहद लें। छोटे-छोटे सफेद प्याज लेकर छीलें और कांटे से गोदकर शहद में डाल दें।
मर्तबान को ढककर महीने भर के लिए अनाज के भीतर दबा दें फिर नाश्ते में प्रतिदिन एक प्याज चबा जाएं ऊपर से दूध पी लें। मुख्या समाप्त होते-होते आप नए उत्साह और जोश से भर उठेंगे। शरीर की कमजोरी नदारद हो जाएगी और आप अपने अन्दर नई शक्ति का अनुभव करेंगे।
शीघ्र स्खलन से बचने के लिए एक चम्मच प्याज के रस में बराबर मात्रा में शहद मिलाएं और दिन में तीन बार सेवन करें। स्तंभन उर्द की धुली दाल को प्याज के रस में रात भर भिगोएं। सुबह पीसकर पिट्ठी बनाएं और सुखा दें।
सूखने पर पिट्ठी को पुनः प्याज के रस के साथ पीसकर पिट्ठी बनाएं और फिर सुखा लें। अब 10-15 ग्राम पिट्ठी को इतनी ही मिश्री और शुद्ध घी के साथ दूध में पकाकर रात सोते समय रोज सेवन करें। छः सप्ताह नियमित सेवन करें। इस दौरान स्त्री-प्रसंग से बिल्कुल दूर रहें।
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