हिचकी या हिक्का रोग में सांस रुक-रुककर या हिक्-हिक की आवाज के साथ बाहर निकलती है। यह रोग पेट में समान वायु तथा गले में उदान वायु के प्रकोप से पैदा होता है। चूंकि वायु रुक-रुककर मुख से बाहर निकलती है।
इसलिए रोगी को घबराहट होती है। वह समझता है कि उसके गले में कोई भीतरी चीज अटक गई है, अतः उसकी मृत्यु शीघ्र ही हो जाएगी। इसका सम्बंध कभी कभी वायु विकार से भी होता है। उस समय इसे मानसिक रोग कहा जाता है।
ऐसी हालत में रोगी को मानसिक रूप से शान्त रहने तथा वायु को कम करने वाले पथ्य देने के निर्देश दिए जाते हैं। हिचकी साधारण रूप से फ्रेनिक स्नायु की उत्तेजना के कारण कंठ की पेशी में संकुचन होने के फलस्वरूप आती है।
नायु की उत्तेजना के तीन कारण बताए गए हैं- भावनात्मक हालत, आमाशय का अधिक भरा होना तथा मिर्च, मसाले, खटाई, खट्टे या कड़वे भोजन का सेवन ।
रोगी बार-बार हिचकियां लेकर सांस को बाहर फेंकता है। कंठ अवरुद्ध हो जाता है। पेट में दर्द तथा कब्ज की शिकायत होती है। पेट में वायु अधिक बननी शुरू हो जाती है जो अपान वायु के रूप में नहीं छूटती।
सिर में दर्द, उबकाई, माथे पर पसीना, पेट फूलना आदि शिकायतें होने लगती हैं। कई बार लम्बे समय तक हिचकियां आती रहती हैं। रोगी बुरी तरह घबरा जाता है। हिचकी आते ही लॉंग भूनकर रोगी को खिलाना चाहिए। मोर के पंख जलाकर दो रत्ती चूर्ण शहद के साथ दिन में तीन बार दें|
उबले चावलों में घी या मक्खन डालकर चबलाकर खाएं। नीबू के रस में जरा-सा काला नमक मिलाकर पिएं| मुलहठी का चूर्ण शहद के साथ चाटें।अदरक का रस एक चम्मच, कालीमिर्च का चूर्ण एक चुटकी, नीबू का रस आधा चम्मच तथा काला नमक एक चुटकी-सबको मिलाकर चाटने से हिचकियां तुरन्त बंद हो जाती हैं।
हींग की धूनी देने से हिचकी तत्काल रुक जाती है। बर्फ का पानी पीने से हिचकियां बंद हो जाती हैं।
धनिया के दाने मुख में रखकर चूसें। पुदीने को पानी में उबालकर पानी पिएं। सोंठ का चूर्ण तथा पुराना गुड़- दोनों को मिलाकर बार-बार हिचकी बंद हो जाती है|
सूंघने से भी दो चम्मच मलाई या मक्खन जरा-सी कालीमिर्च के चूर्ण के साथ खाने से भी हिचकी रुक जाती है। नारियल का पानी दिन में चार-पांच बार पिएं। गाय का ताजा मक्खन तथा मिश्री खाने से हिचकी बंद हो जाती है। दिन में तीन-चार बार घी और बूरा खिलाएं। प्याज को काटकर बार-बार सूंघें।
गन्ने का रस नीबू डालकर पिएं। कच्चे आम की गुठली के भीतर की गिरी निकालकर धूप में सुखा लें।
फिर उसे पीसकर चूर्ण बना लें। आधा चम्मच चूर्ण शहद के साथ चाटें। घर में रखी हुई अमृतधारा की दो बूंदें पानी में डालकर पिएं।
सफेद इलायची को पीसकर उसके चूर्ण में जरा-सा सेंधा नमक डालकर फंकी लगाएं। ऊपर से ठंडा पानी पी लें। तुलसी के पत्तों का रस एक चम्मच शहद के साथ चाटने से भी हिचक बंद हो जाती है। क्या खाएं क्या नहींअधिक गरम तथा अधिक ठंडी चीजों का सेवन न करें। भोजन करने के एक घंटे बाद पानी पिएं।
पेट में कब्ज, अफरा, आमाशय खुश्की आदि नहीं होनी चाहिए। साग-सब्जियों में तरोई, लौकी, कद्दू, फरसबीन में की फलियां, मटर, टमाटर, भिण्डी, कटहल आदि का प्रयोग अधिक करें। इस रोग में कुल्फा का साग बहुत लाभदायक है। तरातेज नामक घास की खाएं।
मूली का सेवन सेंधा नमक के साथ करें। रात को सोने से पूर्व गाय का दूध पिएं। गले तथा पैरों के तलवों पर चार मिनट देशी घी मलें। खुश्की पैदा करने वाले खाद्य पदार्थों का सेवन न करें। आलू, प्याज, अंडा, मांस, मछली, चावल, अरहर एवं मूंग की दाल का उपयोग नहीं करना चाहिए|
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