सावन महीने की शुरूआत हो चुकी है । इस महीने में भगवान शिव की विशेष रूप से पूजा-अर्चना की जाती है। लेकिन क्या आप जानते भगवान शिव और माता पार्वती की एक पुत्री भी थी जिनका नाम अशोक सुंदरी था।
पद्म पुराण की एक कथा के अनुसार, एक बार माता पार्वती ने विश्व में सबसे सुंदर बगीचे में जाने के लिए भगवान शिव से कहा। तब भगवान शिव माता पार्वती को नंदनवन ले गए। वहां माता को कल्पवृक्ष से लगाव हो गया और वे उस वृक्ष को लेकर कैलाश आ गईं। कल्पवृक्ष मनोकामना पूर्ण करने वाला वृक्ष है। जब महादेव तपस्या में लीन रहते थे, तब माता पार्वती अकेला महसूस करती है । अपने इस अकेलेपन को दूर करने के लिए माता पार्वती ने उसी कल्पवृक्ष से एक पुत्री की इच्छा प्रकट की। तभी एक कन्या प्रकट हुई, जिसका नाम अशोक सुंदरी रखा गया ।
माता पार्वती ने अशोक सुंदरी को वरदान दिया कि उनका विवाह देवराज इंद्र जैसे शक्तिशाली युवक से होगा। इस समय पृथ्वी पर राज कर रहे नहुष को देवराज इंद्र के समान शक्तिशाली माना जाता था। इसलिए, देवताओं ने उन्हें अपने राजा के रूप में चुना और उन्हें स्वर्ग का अधिपति बना दिया। बाद में नहुष के साथ ही अशोक सुंदरी का विवाह हुआ।
विवाह के बाद अशोक सुंदरी ने ययाति जैसे वीर पुत्र तथा सौ रुपवती कन्याओं को जन्म दिया। ययाति भारत के चक्रवर्ती सम्राटों में से एक थे और उन्हीं के पांच पुत्रों ने पूरे भारत पर राज किया था। उनके पांच पुत्रों का नाम था- 1.पुरु, 2.यदु, 3.तुर्वस, 4.अनु और 5.द्रुहु। इन्हें वेदों में पंचनंद भी कहा गया है।
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