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इस बेकार छोटे बी एनीमिया, हड्डी के दर्द और नपुंसकता से छुटकारा पाने में 100% फायदेमंद

इमली को संस्कृत में अम्लिका, चरित्रा, गुरुपत्रा आदि नामों से पुकारा जाता है। इमली एक जाना पहचाना फल है। इसका पेड़ भारतवर्ष में सभी जगह पाया जाता है। 15-20 फुट ऊचे इमली के पेड़ पर कई शाखाएं होती हैं। इसकी पत्तियां लम्बी कटी हुई तथा फलियां 2 से 5 इंच तक लम्बी होती हैं।

फलियों के अन्दर एक प्रकार का गूदा होता है, जो स्वाद में खट्टा होता है। यही भाग इमली का मुख्य उपयोगी भाग है। इसके गूदे के अन्दर कठोर, गोल, लम्बे व चौकोर बीज होते हैं ।पकी हुई इमली मधुर, सारक तथा खट्टी होती है।

इसका रस मीठा व खट्टा होता है तथा वृक्ष भारी गरम होता है। कच्ची इमली भारी वातनाशक, पित्तजनक, कफकारक और खून को दूषित करने वाली तथा पक्की इमली दीपन, रुखी, हल्के दस्तावर, गरमी, कफ तथा वात का नाश करने वाली होती है।

सूजन और पक्तिशूल को नष्ट करने वाली, रक्तविकार को नष्ट करने वाली व हृदय को बल देने वाली होती है। वृक्ष की छाल पक्षघात रोग में उपयोगी होती है । छाल की राख सुजाक और मूत्र सम्बन्धी बीमारियों में काम आती है।

इमली के बीजों को रात में भिगोकर सवेरे उन्हें छीलकर पीसकर बराबर का गुड़ मिलाकर छह माशे की गोलियां बना लें। इसमें से एक-दौ गोली सवेरे-शाम लेने से वीर्य की वृद्धि होती है। पकी हुई इमली के गूदे को हाथ और पँरों के तलवे पर मलने पर लू का असर समाप्त हो जाता है।

इमली के पत्ते और हल्दी से तैयार किया हुआ ठण्डा पेय शीतला की बीमारी में लाभप्रद होता है। मिश्री के साथ पकी हुई इमली का रस पिलाने से हृदय की सूजन कम होती है। पन्द्रह-बीस वर्ष पुरानी इमली का शरबत बनाकर पीने से पुरानी कब्जियत मिटती है एवं पुरुषार्थ की वृद्धि होती है।

इमली के पके हुए बीज के छिलके का चूर्ण चार माशा, जीरा तीन माशा, मिश्री छह माशा – इन सबको मिलाकर चूर्ण करके चार माझे की मात्रा में तीन-तीन घण्टे के अन्तराल पर देने से पुराना अतिसार मिटता है।

दो तोला इमली के फल का गूदा लेकर आधा सेर पानी में मसलकर, छानकर उसमें एक छटांग मिश्री, तीन माशे दालचीनी, तीन माशे लौंग और तीन माशे इलायची मिला दें। जाड़े के रोगों के बाद की कमजोरी को मिटाने एवं वात सम्बन्धी शिकायतों को दूर करने में यह शरबत बहुत लाभकारी होता है।

वजन घटाने में इमली के उपयोग की बात करें, तो इसके बीज का इस्तेमाल लाभकारी हो सकता है।इमली के बीज में ट्रिप्सिन इन्हिबिटर गुण पाया जाता है।

इमली के बीज के अर्क में उच्च स्तर पर पॉलीफेनोल और फ्लेवोनोइड पाए जाते हैं। इससे जुड़े एक शोध में जिक्र मिलता है कि इमली के बीज के अर्क में एंटी-डायबिटिक गुण पाए जाते हैं, जिससे ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है इसलिए, इमली के फायदे डायबिटीज में उठाए जा सकते हैं।

इमली के गुण बालों के स्वास्थ्य के लिए काम आ सकते है। विशेषज्ञों के मुताबिक, इमली में विटामिन-सी, राइबोफ्लेविन और जिंक काफी मात्रा में पाए जाते हैं पुरानी सूजन कई रोगों का कारण बन सकती है, जिससे बचने के लिए इमली का उपयोग पारंपरिक चिकित्सा के रूप में किया जा सकता है।

इमली के गूदे, पत्तियों, बीजों, तने की छाल और जड़ों के अर्क में सूजन कम करने वाले और दर्द निवारक गुण पाए जाते हैं।

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