Religious

भोलेनाथ की क्रिपा से तृप्त होने के लिए सभी मंदिर के दर्शन कीजिए।

<p>आज हम भारत मे स्थित भोलेनाथ के मंदिर के दर्शन करेंगे।<&sol;p>&NewLine;<h3><strong>1&period; सोमनाथ महादेव&comma; प्रभास पाटन&comma; वेरावल&comma; गुजरात। <&sol;strong><&sol;h3>&NewLine;<p>सोमनाथ मन्दिर भूमंडल में दक्षिण एशिया स्थित भारतवर्ष के पश्चिमी छोर पर गुजरात नामक प्रदेश स्थित&comma; अत्यन्त प्राचीन व ऐतिहासिक सूर्य मन्दिर का नाम है। यह भारतीय इतिहास तथा हिन्दुओं के चुनिन्दा और महत्वपूर्ण मन्दिरों में से एक है। इसे आज भी भारत के १२ ज्योतिर्लिंगों में सर्वप्रथम ज्योतिर्लिंग के रूप में माना व जाना जाता है। गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र के वेरावल बंदरगाह में स्थित इस मन्दिर के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण स्वयं चन्द्रदेव ने किया था&comma; जिसका उल्लेख ऋग्वेद में स्पष्ट है।<&sol;p>&NewLine;<p><img class&equals;"alignnone size-full wp-image-2116" src&equals;"http&colon;&sol;&sol;hindustancoverage&period;com&sol;wp-content&sol;uploads&sol;2021&sol;03&sol;somnath-temple&period;jpg" alt&equals;"" width&equals;"835" height&equals;"547" &sol;> <img class&equals;"alignnone size-full wp-image-2117" src&equals;"http&colon;&sol;&sol;hindustancoverage&period;com&sol;wp-content&sol;uploads&sol;2021&sol;03&sol;somnath&period;jpg" alt&equals;"" width&equals;"800" height&equals;"600" &sol;><&sol;p>&NewLine;<h3><strong>2&period; श्रीमल्लिकार्जुन &comma; आन्ध्र प्रदेश<&sol;strong><&sol;h3>&NewLine;<p>आन्ध्र प्रदेश के कृष्णा ज़िले में कृष्णा नदी के तट पर श्रीशैल पर्वत पर श्रीमल्लिकार्जुन विराजमान हैं। इसे दक्षिण का कैलाश कहते हैं। अनेक धर्मग्रन्थों में इस स्थान की महिमा बतायी गई है। महाभारत के अनुसार श्रीशैल पर्वत पर भगवान शिव का पूजन करने से अश्वमेध यज्ञ करने का फल प्राप्त होता है। कुछ ग्रन्थों में तो यहाँ तक लिखा है कि श्रीशैल के शिखर के दर्शन मात्र करने से दर्शको के सभी प्रकार के कष्ट दूर भाग जाते हैं&comma; उसे अनन्त सुखों की प्राप्ति होती है और आवागमन के चक्कर से मुक्त हो जाता है।<&sol;p>&NewLine;<p><img class&equals;"alignnone size-full wp-image-2119" src&equals;"http&colon;&sol;&sol;hindustancoverage&period;com&sol;wp-content&sol;uploads&sol;2021&sol;03&sol;sft&period;jpg" alt&equals;"" width&equals;"550" height&equals;"333" &sol;><&sol;p>&NewLine;<h3><strong>3&period; महाकालेश्वर&comma; उज्जैन &comma; मध्य प्रदेश<&sol;strong><&sol;h3>&NewLine;<p>महाकालेश्वर मंदिर भारत के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह मध्यप्रदेश राज्य के उज्जैन नगर में स्थित&comma; महाकालेश्वर भगवान का प्रमुख मंदिर है। पुराणों&comma; महाभारत और कालिदास जैसे महाकवियों की रचनाओं में इस मंदिर का मनोहर वर्णन मिलता है। स्वयंभू&comma; भव्य और दक्षिणमुखी होने के कारण महाकालेश्वर महादेव की अत्यन्त पुण्यदायी महत्ता है। इसके दर्शन मात्र से ही मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है&comma; ऐसी मान्यता है।<&sol;p>&NewLine;<p>महाकवि कालिदास ने मेघदूत में उज्जयिनी की चर्चा करते हुए इस मंदिर की प्रशंसा की है। १२३५ ई&period; में इल्तुत्मिश के द्वारा इस प्राचीन मंदिर का विध्वंस किए जाने के बाद से यहां जो भी शासक रहे&comma; उन्होंने इस मंदिर के जीर्णोद्धार और सौन्दर्यीकरण की ओर विशेष ध्यान दिया&comma; इसीलिए मंदिर अपने वर्तमान स्वरूप को प्राप्त कर सका है। प्रतिवर्ष और सिंहस्थ के पूर्व इस मंदिर को सुसज्जित किया जाता है।<&sol;p>&NewLine;<p><img class&equals;"alignnone size-full wp-image-2120" src&equals;"http&colon;&sol;&sol;hindustancoverage&period;com&sol;wp-content&sol;uploads&sol;2021&sol;03&sol;sa&period;jpg" alt&equals;"" width&equals;"800" height&equals;"600" &sol;><&sol;p>&NewLine;<h3><strong>4&period; ओंकारेश्वर&comma; इंदौर &comma; मध्य प्रदेश<&sol;strong><&sol;h3>&NewLine;<p>ॐकारेश्वर एक हिन्दू मंदिर है। यह मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में स्थित है। यह नर्मदा नदी के बीच मन्धाता या शिवपुरी नामक द्वीप पर स्थित है। यह भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगओं में से एक है &comma; सदियों पहले भील जनजाति ने इस जगह पर लोगो की बस्तियां बसाई और अब यह जगह अपनी भव्यता और इतिहास से प्रसिद्ध है &lbrack;1&rsqb; । यह यहां के मोरटक्का गांव से लगभग &lpar;14 कि॰मी॰&rpar; दूर बसा है। यह द्वीप हिन्दू पवित्र चिन्ह ॐ के आकार में बना है। यहां दो मंदिर स्थित हैं। 1 &period; ॐकारेश्वर 2&period; ममलेश्वर।  ॐकारेश्वर का निर्माण नर्मदा नदी से स्वतः ही हुआ है।<&sol;p>&NewLine;<p>यह नदी भारत की पवित्रतम नदियों में से एक है और अब इस पर विश्व का सर्वाधिक बड़ा बांध परियोजना का निर्माण हो रहा है। जिस ओंकार शब्द का उच्चारण सर्वप्रथम सृष्टिकर्ता विधाता के मुख से हुआ&comma; वेद का पाठ इसके उच्चारण किए बिना नहीं होता है। इस ओंकार का भौतिक विग्रह ओंकार क्षेत्र है। इसमें 68 तीर्थ हैं। यहाँ 33 कोटि देवता परिवार सहित निवास करते हैं तथा 2 ज्योतिस्वरूप लिंगों सहित 108 प्रभावशाली शिवलिंग हैं। मध्यप्रदेश में देश के प्रसिद्ध 12 ज्योतिर्लिंगों में से 2 ज्योतिर्लिंग विराजमान हैं। एक उज्जैन में महाकाल के रूप में और दूसरा ओंकारेश्वर में ओम्कारेश्वर- ममलेश्वर के रूप में विराजमान हैं।<&sol;p>&NewLine;<p><img class&equals;"alignnone size-full wp-image-2121" src&equals;"http&colon;&sol;&sol;hindustancoverage&period;com&sol;wp-content&sol;uploads&sol;2021&sol;03&sol;asf&period;jpg" alt&equals;"" width&equals;"1024" height&equals;"577" &sol;><&sol;p>&NewLine;<h3><strong>5&period; केदारनाथ&comma; उत्तराखंड<&sol;strong><&sol;h3>&NewLine;<p>केदारनाथ मन्दिर भारत के उत्तराखण्ड राज्य के रूद्रप्रयाग जिले में स्थित है। उत्तराखण्ड में हिमालय पर्वत की गोद में केदारनाथ मन्दिर बारह ज्योतिर्लिंग में सम्मिलित होने के साथ चार धाम&lbrack;क&rsqb; और पंच केदार&lbrack;ख&rsqb; में से भी एक है। यहाँ की प्रतिकूल जलवायु के कारण यह मन्दिर अप्रैल से नवंबर माह के मध्‍य ही दर्शन के लिए खुलता है। पत्‍थरों से बने कत्यूरी शैली से बने इस मन्दिर के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण पाण्डव वंश के जनमेजय ने कराया था। यहाँ स्थित स्वयम्भू शिवलिंग अति प्राचीन है। आदि शंकराचार्य ने इस मन्दिर का जीर्णोद्धार करवाया।<&sol;p>&NewLine;<p>जून २०१३ के दौरान भारत के उत्तराखण्ड और हिमाचल प्रदेश राज्यों में अचानक आई बाढ़ और भूस्खलन के कारण केदारनाथ सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र रहा। मंदिर की दीवारें गिर गई और बाढ़ में बह गयी।इस ऐतिहासिक मन्दिर का मुख्य हिस्सा और सदियों पुराना गुंबद सुरक्षित रहे लेकिन मन्दिर का प्रवेश द्वार और उसके आस-पास का इलाका पूरी तरह तबाह हो गया।<&sol;p>&NewLine;<p><img class&equals;"alignnone size-full wp-image-2122" src&equals;"http&colon;&sol;&sol;hindustancoverage&period;com&sol;wp-content&sol;uploads&sol;2021&sol;03&sol;kedarnath-temple&period;jpg" alt&equals;"" width&equals;"916" height&equals;"562" &sol;> <img class&equals;"alignnone size-full wp-image-2123" src&equals;"http&colon;&sol;&sol;hindustancoverage&period;com&sol;wp-content&sol;uploads&sol;2021&sol;03&sol;cfg&period;jpg" alt&equals;"" width&equals;"1320" height&equals;"720" &sol;><&sol;p>&NewLine;<h3><strong>6&period; काशी विश्वनाथ मन्दिर<&sol;strong><&sol;h3>&NewLine;<p>काशी विश्वनाथ मंदिर बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। ज्ञानव्यापी मस्जिद ही असल काशी विश्वनाथ मंदिर है&comma; ऐसा दावा किया जाता है। यह मंदिर पिछले कई हजारों वर्षों से वाराणसी में स्थित है। काशी विश्‍वनाथ मंदिर का हिंदू धर्म में एक विशिष्‍ट स्‍थान है। ऐसा माना जाता है कि एक बार इस मंदिर के दर्शन करने और पवित्र गंगा में स्‍नान कर लेने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस मंदिर में दर्शन करने के लिए आदि शंकराचार्य&comma; सन्त एकनाथ रामकृष्ण परमहंस&comma; स्‍वामी विवेकानंद&comma; महर्षि दयानंद&comma; गोस्‍वामी तुलसीदास सभी का आगमन हुआ हैं।<&sol;p>&NewLine;<p>यहिपर सन्त एकनाथजीने वारकरी सम्प्रदायका महान ग्रन्थ श्रीएकनाथी भागवत लिखकर पुरा किया और काशिनरेश तथा विद्वतजनोद्वारा उस ग्रन्थ कि हाथी पर से शोभायात्रा खूब धुमधामसे निकाली गयी।महाशिवरात्रि की मध्य रात्रि में प्रमुख मंदिरों से भव्य शोभा यात्रा ढोल नगाड़े इत्यादि के साथ बाबा विश्वनाथ जी के मंदिर तक जाती है।<&sol;p>&NewLine;<p><img class&equals;"alignnone size-full wp-image-2124" src&equals;"http&colon;&sol;&sol;hindustancoverage&period;com&sol;wp-content&sol;uploads&sol;2021&sol;03&sol;drt&period;png" alt&equals;"" width&equals;"835" height&equals;"547" &sol;><&sol;p>&NewLine;<p>अगर आपको ये पोस्ट पसंद आई हो तो अपनो के साथ जरूर शेर कीजिए।<&sol;p>&NewLine;

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