कब्ज छोटे-बड़े सभी लोगों को हो जाता है। इसमें खाया हुआ भोजन शौच के साथ बाहर नहीं निकलता। वह आंतों में सूखने लगता है। मतलब यह कि आंतों में शुष्कता बढ़ने के कारण वायु मल को नीचे की तरफ सरकाने में असमर्थ हो जाती। है। यहाँ कब्ज की व्याधि कहलाती है।
कारण प्रतिदिन दोनों समय मल का साफ होकर न निकलना ही कब्ज है। यदि मल त्याग के समय बल लगाना पड़े तो समझ लेना चाहिए कि कब्ज हो गया है। इसमें मल कड़ा और शुष्क हो जाता है।
यह रोग गरिष्ठ भोजन, मिर्च मसालेदार पदार्थों का अत्यधिक सेवन तथा छिलका रहित भोजन लेने, शराब पीने व्यायाम न करने, दिनभर बैठे-बैठे काम करने आदि के कारण हो जाता है। क्रोध लोभ, मोह, लालच आदि का भी पेट पर असर पड़ता है, जिससे कब्ज को शिकायत हो जाती है।
कब्ज होने पर पेट में दर्द, भारीपन, भोजन में अरुचि, सुस्ती, बेचैनी आदि लक्षण दिखाई देते हैं। यदि कब्ज पुराना हो जाता है तो वायु का रोग हो जाता है। तब सिर, कमर तथा हाथ-पैरों में दर्द की शिकायत हो जाती है।
रात को तांबे या मिट्टी के बरतन में पानी रखकर सुबह निहार मुंह पौने से कब्ज टूट जाता है और मल साफ आता है। अमलतास के फूल तथा गूदा खाने से कब्ज टूट जाता है। रात के समय दूध में चार-पांच मुनक्के डालकर सेवन करें। दो अंजीर एक गिलास पानी में भिगो दें। थोड़ी देर बाद जब अंजीर फूल जाएं तो उन्हें पानी में मथकर पी जाएं। एक चुटकी हरड़ का चूर्ण, दो चुटकी बहेड़ा का चूर्ण तथा एक चम्मच आंवले का चूर्ण भोजन के बाद रात को गरम पानी के साथ लें।
रात को 50 ग्राम चने और 50 ग्राम साबुत मूंग पानी में भिगो दें। सुबह इन्हें चबा-चबाकर खाएं। फिर ऊपर से उसका पानी पी लें। इससे कब्ज की शिकायत दूर हो जाएगी। भोजन के बाद एक गिलास पपीते का रस पीने से कब्ज दूर होता है। रात को चार चम्मच देशी घी में एक रत्ती केसर मिलाकर सेवन करें। छोटी हरड़ का चूर्ण 3 ग्राम, सनाय की पत्तियों का चूर्ण 5 ग्राम और गुलाब की सूखी पत्तियां 3 ग्राम-सबको मिलाकर गुनगुने पानी से सुबह-शाम दो मात्राएँ बनाकर सेवन करें।
भोजन के साथ लहसुन खाने से कब्ज और वायु की शिकायत नहीं होती। रात को एक चम्मच अविले का चूर्ण दूध के साथ सेवन करें। 100 ग्राम सेब के छिलके पानी में उबालकर नित्य भोजन के बाद पिएं। 250 ग्राम अमरूद खाकर ऊपर से आधा लीटर दूध पी जाएं।
उस दिन भोजन न करें। आंतों से मैल निकल जाएगा। एक चम्मच एरण्ड का तेल दूध में मिलाकर सेवन करने से कब्ज की शिकायत दूर होती है। भोजन के बाद आम खाकर दूध पीने से भी कब्ज टूट जाता है। कच्ची शलजम खाने से दस्त साफ आता है।
गरम पानी में गुलाब का एक फूल भिगो दें। फिर उसको मथकर शहद डालकर वह पानी पी जाएं। दो चम्मच मूंगफली के तेल में थोड़ा-सा शहद मिलाकर सेवन करें|मूंगफली है गरीबों का बादाम गिलोय को कुचलकर उसमें जरा सा गुड़ मिलाकर सेवन करें।
बैंगन को कुचलकर उसका रस चार चम्मच निकालें। फिर उसमें दो चम्मच पालक का रस मिलाकर पी जाएं। दालचीनी, सोंठ, जीरा तथा इलायची 3-3 ग्राम लेकर चूर्ण बनाकर गरम पानी के साथ सेवन करें। रात को हरड़ का मुरब्बा खाने से सुबह पेट साफ हो जाता है।
गुलकंद को दो चम्मच अमलतास के गूदे के साथ सेवन करें। साँफ, बनफशा, बादाम की गिरी, सनाय तथा चीनी 5-5 ग्राम-सबका चूर्ण बनाकर गुनगुने पानी से सेवन करें। तिल कूटकर उसमें जरा-सी खांड़ मिलाकर सेवन करें। गेहूं तथा जौ की रोटी में चोकर की मात्रा ज्यादा होने से कब्ज नहीं बनता। जितनी भूख हो, उससे एक या आधी रोटी कम खाने से पेट ठीक रहता है। दालों में मूंग और मसूर फायदेमंद हैं।