करेला को संस्कृत में कारवेल्ली व अंबुबाल्लिका, उग्रकांड कंटफला कहते हैं। यह एक जानी पहचानी वनस्पति है, जो समस्त भारत में पायी जाती है। इसकी लता होती है, जो झाड़ियों व बाड़ों पर फैलती है। इसकी बेल नाजुक और मुलायम होती है। इसके पत्ते तीन-चार इंच तक लम्बे व कटे हुए होते हैं।
इसके फूल इसकी पत्तियों के डंठल की जड़ से निकलते हैं। इसका फल हरा व पकने पर नारंगी रंग का हो जाता है। यह नुकीला और इसके ऊपर कई धारियां उठी हुई तथा कई दाने होते हैं। इसके फल के अन्दर 8 से 10 बीज होते हैं, जो चपटे व लम्बे होते हैं।
यह दो प्रकार का होता है- जो बरसात में पैदा होता है, उसे करेला और जो गरमी में पैदा होता है, उसे करेली कहते हैं। इसका फल कड़वा, विरेचक और शीतल होता है। यह ज्वर निवारक, कृमिनाशक, क्षुधावर्द्धक, गुदाद्वार की पीड़ा, योनि भ्रंशरोग तथा नेत्ररोग में फायदेमंद है।
यह कफ, पित्त, रक्तविकार, श्वास, वायुनलियों के प्रदाह तथा मूत्र सम्बन्धी बीमारियों में उपयोगी है। पथरी रोग में इसके पत्ते का रस देने से लाभ मिलता है। इसके पत्तों का ताज़ा रस, ताज़ा हल्दी के साथ लेने से माता की बीमारी, खसरे व अन्य विस्फोटक रोगों में लाभ पहुंचाता है।
करेला अत्यन्त कड़वी, अग्निप्रदीपक, हल्की, गरम, शीतल, दस्तावर, कफ, वात, रुधिर विकार, ज्वर, पित्त और कुष्ठ रोगों को मिटाती है। इसके पत्तों का रस पिलाने से आंतों के कीड़े मिटते हैं। इसके पत्तों के रस में चाक मिट्टी मिलाकर लगाने से मुंह के छाले मिटते हैं।
करेले के पंचांग, दालचीनी, पीपर और चावलों को जंगली बादाम के तेल में मिलाकर लगाने से खुजली व त्वचा के रोग मिटते हैं। इसके पत्तों का रस कृमिनाशक है, ये बवासीर, कुष्ठ और पीलिया रोग में फायदेमंद माना जाता है ।
करेले में फास्फोरस पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है। यह कफ, कब्ज और पाचन संबंधी समस्याओं को दूर करता है। इसके सेवन से भोजन का पाचन ठीक तरह से होता है, और भूख भी खुलकर लगती है।
करेले का जूस पीने से लीवर मजबूत होता है और लीवर की सभी समस्याएं खत्म हो जाती है। प्रतिदिन इसके सेवन से एक सप्ताह में परिणाम प्राप्त होने लगते हैं। इससे पीलिया में भी लाभ मिलता है।
ह्दय संबंधी समस्याओं के लिए करेला एक बेहतर इलाज है। यह हानिकारक वसा को ह्दय की धमनियों में जमने नहीं देता जिससे रक्तसंचार व्यवस्थित बना रहता है, और हार्ट अटैक की संभावना नहीं होती।
नींबू के रस के साथ करेले के रस को चेहरे पर लगाने से मुंहासे ठीक हो जाते हैं और त्वचा रोग नहीं होते केसर से लड़ने के लिए करेले के रस का सेवन बहुत ही लाभकारी सिद्ध होता है।
खून साफ करने के लिए भी करेला अमृत के समान है। मधुमेह में यह बेहद असरकारक माना जाता है। मधुमेह में एक चौथाई कप करेले का रस, उतने ही गाजर के रस के साथ पीने पर लाभ मिलता है।
आज कल जोड़ो के दर्द की तकलीफ हर चौथे व्यक्ति को होती हैं इसके लिए अगर करेलेकी पत्ती के लेप को जोड़ो पर लगायें तो रोगी को राहत मिलती हैं |इसके लिए करेले और तिल के तेल को समाना मात्रा में मिलाकर तेल तैयार किया जाता हैं और इससे मालिश करने पर दर्द में फायदा मिलता हैं |
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