खजूर का वृक्ष अरब देशों और ईरान मे अधिक पाया जाता है। जो फल पेड़ों पर ही पकते हैं उन्हें खजूर तथा जो पकने से पूर्व ही तोड़कर सुखा लिए जाते हैं उन्हें छुआरे कहते हैं। छुआरों की गिनती मेवों में की जाती है। इसकी गुठलियों से निकाला गया तेल जलाने और दवा में डालने के काम आता है।
सुमारे की गुठली की राख में कपूर और घी मिलाकर लगाने से खाज ठीक होती है। छुआरे की गुठली को पानी में घिसकर मस्तक पर लेप करने से कैसा भी सिरदर्द हो दूर हो जाता है एक पान खजूर पानी में उबालें। इस पानी को पिलाने में शीघ्र आराम होता है।
खजूर को पानी में भिगोकर मसल लें। इस पानी को पीने से जलन शांत होती है। खजूर की गुठली निकालकर एक पाव गूदे को 80 ग्राम गाय के घी में भूनकर हलुआ बनाकर सेवन करें। छुआरे की गुठली कूटकर घी में तलकर चंदन के साथ खाने से प्रदर रोग में लाभ होता है। नियमित रूप से इसका सेवन करने से प्रदर रोग समाप्त हो जाता है।
खजूर, किशमिश, छोटी पीपल, शक्कर, शुद्ध घी और शहद समभाग लेकर महीन से पीसकर मिला लें। सुबह-शाम 20 ग्राम दूध के साथ लेने से हर प्रकार की खांसी व दमा में लाभ होता है। छुआरे का गूदा निकालकर दूध में पकाएं। रस निकल जाने पर आंच से उतार लें।
इस दूध को पीने से भूख खुलती है तथा खाना हजम हो जाता है। यह दूध बहुत पौष्टिक होता है। खजूर वृक्ष के गोंद के चूर्ण का सेवन करने से दस्त बंद हो जाते हैं। खजूर की गुठली को पानी में घिसकर पलकों पर लेप करने से नेत्रों की मलिनता व गंदलापन दूर होता है।
ग्रीष्म ऋतु में इसके बीज मुंह में रखने से प्यास की अधिकता कम हो जाती है। खजूर की चटनी बनाकर सेवन करने से भोजन के प्रति रुचि बढ़ती है। खजूर के बीजों से तैयार मंजन से दांत साफ करने पर दांतों में चमक और मजबूती आती है।
शहद के साथ इसका सेवन करने से रक्तपित्त की बीमारी में लाभ होता है। खजूर को पानी में भिगोकर पीने से दस्त साफ आता है। छुआरे को घी में भूनकर दिन में 2 3 बार सेवन करने से खांसी और बलगम की शिकायत दूर होती है।
प्रतिदिन 10-15 खजूर सेवन करने और ऊपर से एक गिलास दूध पीने से शरीर की शक्ति और स्फूर्ति बढ़ती है। एक गिलास दूध में चार छुआरे उबालकर उनकी गुठली हटाकर खाएं। ऊपर से दूध पीने से 2-3 माह में ही शरीर का दुबलापन दूर होता है।
छुआरे की गुठली को पानी के साथ पत्थर पर घिसकर इसका लेप फुंसी(पिंपल्स) पर लगाने से लाभ होता है। प्रातः काल 2 छुआरे खाने से दमा के रोगी को आराम मिलता है तथा फेफड़ों को बल मिलता है। प्रातः खाली पेट 2-3 छुआरे टोपी सहित खाने एवं रात को दूध में उबालकर खाने से लाभ होता है।
मोटे छुआरे में से गुठली निकालकर उसमें 3-4 पत्ती केसर भरकर बांध दें। रात को इस छुआरे को दूध में उबालें। दूध आधा रह जाने पर इसका रस निकालकर दूध में मिलाकर धीरे-धीरे पीएं तथा कुल्ला न करें। यह शक्तिदायक, बलवर्द्धक व यौन रोगों में लाभ देने वाला होता है।
3-4 खजूर गुठली निकालकर एक पाव दूध में 3-4 कालीमिर्च व एक इलायची डालकर उबालें। 1 चम्मच घी डालकर दूध का सेवन करने से सर्दी, जुकाम, खांसी, बुखार आदि रोगों से छुटकारा मिल जाता है।
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