खांसी अपने आप में कोई रोग नहीं है वरन् यह दूसरे रोगों का लक्षण है। दादी मां का कहना है कि खांसी पांच प्रकार की होती है- तीन प्रकार की खांसी वात, पित्त और कफ के बिगड़ने से, चौथी कीड़ों के उत्पन्न होने से और पांचव टी.बी. रोग से।
यदि खांसी का इलाज समय पर नहीं किया जाता तो यह जीर्ण वा स्थायी बन जाती है। सूखी खांसी में दूध-घी के सेवन से कोई हर्ज नहीं है किन यदि बलगमी खांसी है तो कफ बनाने वाली चीजें नहीं खानी चाहिए। यदि खासी के साथ कब्ज भी हो तो सबसे पहले उसे दूर करने की कोशिश करनी चाहिए।
इसके लिए पेट साफ करने वाली दवा ली जा सकती है। दादी मां अक्सर सनाय की पत्तियों का चूर्ण पेट साफ करने के लिए देती थीं। एरंड का तेल भी पेट साफ़ कर देता है। खांसी का रोग प्रायः सर्दी, न्यूमोनिया, टी.बी. दमा, ब्रोंकाइटिस तथा जिगर की खराबी से हो जाता है।
वायु नली में कब्ज या ठंडी हवा लगने आदि के कारण कफ बन जाता है। धुआं, धूल आदि के गले में चले जाने से भी स्नायुओं में गड़बड़ी हो जाती है और खांसी बन जाती है। यह रोग गले तथा फेफड़ों के विकारों से होता है।
ठंड लगने पर पहले जुकाम की शिकायत होती है और जुकाम निकलते ही खांसी का दौर शुरू हो जाता है। छाती में जमा कफ बाहर निकालने के लिए खांसना पड़ता है। सूखी खांसी में कफ नहीं निकलता। इसमें रोगी को छाती पर जकड़न होती है।
लेकिन यदि खांसी तर है तो खांसने के बाद बलगम निकलता है। जब तक बलगम या कफ बाहर नहीं निकल जाता, तब तक चैन नहीं मिलता। यदि खांसी की अवधि लम्बी रहती है तो उसे काली खांसी कहते हैं। अदरक को कुचलकर एक चम्मच रस निकाल लें।
फिर उसमें थोड़ा-सा शहद मिलाकर सुबह-शाम चाटने से हर प्रकार की खांसी में आराम मिलता है।
एक चम्मच आंवले के चूर्ण में शहद मिलाकर दिन में तीन बार सेवन करने से भी खांसी में लाभ होता है। चार चम्मच मौसमी के रस में आधा कप गरम पानी मिलाएं।
फिर उसमें जीरा तथा सौंठ का चूर्ण आधा-आधा चम्मच मिलाकर पी जाएं। मक्के का भुट्टा जलाकर उसकी राख पीस लें। फिर उसमे जरा-सा सेंधा नमक मिलाएं। उसे रोज आधे चम्मच की मात्रा में गरम पानी के साथ दिन में चार बार लें। नीम की पत्तियों को सुखाकर चूर्ण बना लें।
चौथाई चम्मच चूर्ण शहद के साथ सेवन करें। पीपल के पेड़ के तने की छाल सुखाकर पीस लें। फिर आधा चम्मच चूर्ण में शहद मिलाकर दिन में तीन बार चाटें। खांसी-जुकाम छूमंतर कर देता है लहसुन लहसुन का रस आधा चम्मच शहद के साथ सेवन करें।
देशी घी में सेंधा नमक मिलाकर छाती पर धीरे-धीरे मलें। सारा बलगम निकल जाएगा। सूखी खांसी दूर करने के लिए दूध में पांच पीपल का चूर्ण डालकर गरम करें। फिर उसमें खांड़ डालकर सुबह-शाम पिएं। यह कुकुर खांसी के लिए भी उपयोगी नुस्खा है।
चार चम्मच गेहूं की छानन एक कप पानी में औटाए। आधा कप रह जाने पर छानकर पी लें। अनार का छिलका सुखाकर पीस लें। इसमें लौंग का चूर्ण आधा चम्मच मिलाएं। नुस्खे को आधे चम्मच की मात्रा में शहद के साथ सुबह-शाम चार्ट चने की दाल के बराबर फिटकिरी का सेवन गरम पानी से नित्य दो बार करने पर कुकुर खांसी जाती रहती है।
कालीमिर्च, अदरक, तुलसी के पत्ते तथा लोंग की चाय बनाकर सुबह शाम पिएं। इससे खांसी, सदी, जुकाम व सिर का दर्द ठीक हो जाता है। सादे पान के पत्ते पर चौथाई चम्मच अजवायन रखकर पान को धीरे-धीरे चूसें। अवश्य लाभ होगा।
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