वहीं एक मान्यता ये भी है कि एक महिला ने साधु के शिष्यों की मदद की थी, इसलिए उस साधु ने महिला से कहा था कि वो शाम ढलने से पहले गांव छोड़कर चली जाए और पीछे मुड़कर ना देखे, लेकिन महिला नहीं मानी और पीछे मुड़कर देखने लगी, जिसके बाद वो पत्थर की बन गई। मंदिर से कुछ ही दूरी पर उस महिला की मूर्ति भी स्थापित है।