लीची एक सदा हरा रहने वाला छोटी जाति का वृक्ष है। इसके पत्ते एक के पश्चात् एक लगते हैं। इसके फूल हरे रंग के होते हैं। इसके फल भूरे रंग के अखरोट से कुछ बड़े होते हैं। इसके ऊपर पतला छिलका रहता है। इस छिलके को निकाल देने पर भीतर से मुर्गी के अण्डे के आकार का सफ़ेद रंग का फल निकल जाता है।
इस फल का गूदा बहुत मीठा और स्वादिष्ट होता है। हर एक फल के अन्दर एक बड़ा भूर रंग का बीज निकलता है। इस फल का मूल उत्पत्ति स्थान चीन है, मगर आजकल भारतवर्ष में बहुत बड़े पैमाने पर इसकी खेती होती है।
इसका फल स्वाद में मीठा व कुछेक खट्टा होता है तथा उसमें से गुलाब के समान मधुर खुशबू आती है। यह स्वभाव से शीतल होता है। यह प्यास को बुझाता है। यह शरीर के लिए एक उत्तम स्वास्थ्यवर्धक वस्तु है। इसका फल हृदय, मस्तिष्क और यकृत को शक्ति देने वाला होता है। इसके बीज वेदनानाशक होते हैं और अनेक प्रकार की स्नायुक वेदनाओं और अण्डकोषों की सूजन को दूर करने के लिए प्रयोग में लाये जाते हैं।
इसका कच्चा फूल बच्चों को होने वाली शीतला की बीमारी में दिया जाता है। इसकी जड़, छाल, फूलों व पत्तों का काढ़ा गले के विकारों को दूर करने के काम में लिया जाता है। लीची एक अच्छा ऐंटीऑक्सिडेंट भी है। इसमें मौजूद विटामिन सी हमारे शरीर में रक्त कोशिकाओं के निर्माण और लोहे के अवशोषण में भी मदद करता है, जो एक प्रतिरक्षा प्रणालीची हमारी सेहत के साथ ही फिगर का भी ध्यान रखती है।
इसमें घुलनशील फाइबर बड़ी मात्रा में होते हैं, जो मोटापा कम करने का अच्छा उपाय है। फाइबर हमारे भोजन को पचाने में सहायक होता है और अंदरूनी समस्याओं को रोकने में मदद करता है।ली को बनाए रखने के लिए जरूरी है
हल्के दस्त, उल्टी, पेट की खराबी, पेट के अल्सर और आंतरिक सूजन से उबरने में लीची का सेवन फायदेमंद है। यह कब्ज या पेट में हानिकारक टॉक्सिन के प्रभाव को कम करती है। गुर्दे की पथरी से होने वाले पेट दर्द से आराम पहुंचाती है।
लीची विटामिन सी का बहुत अच्छा स्रोत होने के कारण खांसी-जुकाम, बुखार और गले के संक्रमण को फैलने से रोकती है। शोधों में कहा गया है कि लीची में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट कार्डियोवैस्कुलर स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में मदद कर सकते हैं।
लीची में ऑलिगोनोल नामक एक यौगिक होता है जो नाइट्रिक ऑक्साइड के उत्पादन को बढ़ावा देता है। नाइट्रिक ऑक्साइड जिसका अर्थ है कि यह रक्त वाहिकाओं को विस्तारित करने में मदद करता है जिससे रक्त को ठीक से प्रवाहित किया जा सकें।
यह रक्त को पंप करने के लिए आपके दिल पर दबाव डालता है जिससे समग्र हृदय स्वास्थ्य में सुधार होता है। धूप में बहुत अधिक साने तक रहने से शरीर पर लालिमा और फफोले पैदा हो सकते हैं।
सनबर्न दर्द और जलन पैदा कर सकता है और विटामिन ई के साथ परिपूर्ण लीची लगाने से आपकी सूजन वाली त्वचा को शांत करने में मदद मिल सकती है। दाग धब्बों को दूर करने के लिए लीची के जूस को दाग-धब्बों पर लगाने से निशान दूर हो जाते हैं।