एक औसत इंसान अपने जीवन काल में अपना रंग यानि त्वचा हजार बार बदलता है। हालांकि, इस प्रक्रिया में केवल त्वचा की सबसे ऊपरी परत को बदला जाता है। मानव शरीर प्रकृति के सबसे महान आश्चर्यों में से एक है। इसे प्रकृति ने इस तरह से डिजाइन किया है कि इसका रहस्य हमेशा छाया रहेगा। जितनी ज्यादा रिसर्च की जाती है, उतनी ही उसके बारे में नई चीजें सामने आती रहती हैं। ऐसी ही एक बात हम आज आपको बताने जा रहे हैं। सभी जानवरों में एक सांप एक ऐसा जानवर है जो अपनी त्वचा बदलता है। सांप नियत समय में ऐसा करते हैं। जिसे हम आम बोलचाल में ब्रा उतारना कहते हैं। जो एक प्राकृतिक प्रक्रिया है।
हमारा शरीर भी एक सांप है जिसमें कमरबंद यानी हमारी त्वचा बदल जाती है। क्या आप यह सुनकर हैरान हैं? सुनने में अजीब लगता है लेकिन यही सच है। और इसके वैज्ञानिक प्रमाण भी सामने आ चुके हैं.. हमारे शरीर की त्वचा की बाहरी परत यानी इसकी सतह हर महीने बदलती रहती है। तो अगर हम हिसाब करें तो एक औसत इंसान अपने जीवनकाल में अपना रंग यानी त्वचा 900 से 1000 बार बदलता है। और यह भी प्रकृति के अजूबों में से एक है।
अब आपके मन में सवाल होगा कि अगर ऐसा होता है तो शरीर पर टैटू या घाव एक जैसा क्यों रहता है? ऐसा इसलिए है क्योंकि इस प्रक्रिया में केवल त्वचा की सबसे ऊपरी परत ही बदली जाती है। निचला स्तर नहीं। इसलिए आपकी त्वचा पर टैटू, घाव या निशान एक समान रहते हैं। लेकिन टैटू का रंग समय के साथ हल्का होता जाता है। या आपका घाव धीरे-धीरे ठीक होने लगता है। एक और दिलचस्प बात यह जानना है कि त्वचा हमारे शरीर का सबसे बड़ा अंग है और सबसे संवेदनशील भी।
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