लौकी एक बेलरूपी पौधा है। इसके पत्ते बड़े-बड़े और सफ़ेदी लिये हुए हरे रंग के होते हैं। यह भारतवर्ष में लगभग सभी जगह बारहों महीनों पायी जाती है। लौकी एक शक्तिदायक सब्जी है। लौकी के फूल सफ़ेद होते हैं। लौकी गोल और सफ़ेद दो तरह की होती है।
लौकी स्वाद में मीठी व फीकी होती है। स्वभाव से यह शीतल होती है। लौकी एक शक्तिदायक तरकारी है। यह खून को गाढ़ा करती है, पेट को नरम करती है, मगर देर में हजम होती है। इसका हलवा अत्यन्त धातु-पुष्टकर है। यह पित्त-कफ नाशक व वीर्य को बढ़ाने वाली होती है। गरमी के बुखार व नींद न आने की बीमारी में अत्यन्त हितकर है। पेशाब की जलन और दर्द को मिटाकर पेशाब खूब लाती है।
लौकी को काटकर इसका गूदा पांव के तलुवों पर मसलने से गरमी व जलन दूर हो जाती है। गर्भ के अन्तिम मास में 100 ग्राम लौकी 40 ग्राम: मिश्री के साथ प्रतिदिन प्रयोग करने से बच्चा सुन्दर उत्पन्न होता है और उसका रंग बिल्कुल निखर जाता है।
लौकी के बीज चबाने से हिचकी का आना बन्द हो जाता है। 200 ग्राम लौकी पीसकर, 600 ग्राम पानी में भली-भांति जोश दें। ठण्डा होने पर छानकर कुल्ले करने से दांत के दर्द में लाभ होता है। कच्ची लौकी खाने से मुंह में दुर्गन्ध आनी बन्द हो जाती ।
इसके बीजों को पीसकर, गरम पानी के साथ भली-भांति कुल्ला करने से गला साफ़ हो जाता है। सूखी रोटी के साथ लौकी की सब्ज़ी कुछ दिन निरन्तर खाने से नज़र की कमज़ोरी दूर हो जाती है, और नज़र तेज़ हो जाती है।
इसलिए लौकी की सब्ज़ी का अवश्य प्रयोग करें। कच्ची लौकी को नमक के साथ खाने से पेट की गैस दूर होती है। 25 ग्राम लौकी का अर्ध गरम रस खाना खाने के पश्चात् निरन्तर प्रयोग करने से शरीर का ख़राब रक्त साफ़ हो जाता है।
यदि मूत्र रुक गया हो, तो लौकी का रस 10 ग्राम, कलमी शोरा 2 ग्राम, मिश्री 20 ग्राम, पानी 250 ग्राम में मिलाकर एक बार पिलायें। ताज़ा लौकी पर जौ के आटे का लेप करके, उसके ऊपर कपड़ा लपेटकर आग में दबा दें। जब भुर्ता हो जाये, तो पानी निचोड़कर पिलायें। एक मास निरन्तर प्रयोग करने से क्षय रोग में आराम मिलता है।
यदि गरमी के कारण सिरदर्द हो, तो लौकी का गूदा निकालकर बारीक करके माथे पर लेप करें। इससे सिरदर्द दूर हो जायेगा। लौकी का रस और मां का दूध बराबर-बराबर मिलाकर अर्ध गरम करके कान में डालकर ऊपर से रूई लगा दें।
कान दर्द में आराम होगा। लौकी का छिलका सुखाकर, बारीक करके इसके बराबर मिश्री कूज़ा मिलायें। 6 ग्राम प्रातः व 6 ग्राम सायं 20 दिन तक ताज़े पानी से खायें। यह खांसी के साथ रक्त आने को बन्द करती है। गरम वस्तुओं से संयम करें। लौकी के पत्तों को पीसकर लेप करने से कुछ दिनों में बवासीर के मस्से दूर हो जायेंगे।
डंक वाले स्थान पर लौकी पीसकर लेप करें और इसका रस पिलायें। इससे बिच्छु काटे का विष उत्तर जायेगा। लौकी के टुकड़े अर्ध गरम करके दर्द वाले स्थान पर इसके रस की मालिश करने और पीसकर लेप करने से मूत्राशय का दर्द तुरन्त कम हो जायेगा ।
जिन स्त्रियों की लड़कियां उत्पन्न होती हो, उन्हें लौकी का प्रयोग करना चाहिए। शिव परमात्मा की कृपा से लड़का उत्पन्न होगा। यह प्रयोग गर्भ के शुरू के महीने से करना चाहिए।