कई जगहों पर लौकी को घीया के नाम से भी जाना जाता है। लौकी की सबसे अच्छी बात ये है कि ये बेहद आसानी से मिल जाती है। लौकी यह आपके शरीर में विटमिन बी, विटमिन सी, आयरन और सोडियम की कमी को पूरा करता है। इसके अलावा लौकी में कई ऐसे गुण होते हैं जो कुछ गंभीर बीमारियों में औषधि की तरह काम करते हैं। अगर आप सुबह उठकर एक ग्लास लौकी का जूस पीते हैं तो आप इन बीमारियों से हमेशा दूर रहेंगे।
आमतौर पर लोग लौकी खाने से बचते हैं. कुछ को इसका स्वाद पसंद नहीं होता है तो कुछ को ये पता ही नहीं होता है कि ये कितनी फायदे चीज है।अक्सर लोग सब्जी के रुप में ही लौकी खाना पसंद करते हैं लेकिन क्या आपको पता है कि लौकी के अनगिनत औषधीय फायदे भी है जिसके कारण आयुर्वेद में लौकी को उपचार के रुप में इस्तेमाल किया जाता है।
लौकी का उत्पादन सबसे पहले भारत में शुरु हुआ था, ये भारत की सबसे उपयोगी फसलों में से एक मानी जाती है। लौकी के फल के अलावा इसकी पत्तियों और तना भी उपयोग किया जाता है। भारत के अलावा लौकी का उत्पादन अब श्री लंका, इंडोनेशिया, चीन, साउथ अमेरिका, अफ्रीका के कुछ हिस्से, मलेशिया, फिलीपींस में किया जाता है। भारत के पंजाब में लौकी का सबसे ज्यादा उत्पादन होता है।
आमतौर पर लौकी का प्रयोग मोटापा कम करने के लिए किया जाता है।लौकी में कई ऐसे गुण हैं जिनके बारे में बहुत तो को पता नहीं है। लौकी की तासीर ठंडी होती है, और यह ह्रदय को तंदुरुस्त करती है। इसके अलावा यह बालों को सफेद होने से बचाती है, डैंड्रफ दूर करती है, हाई ब्लड प्रेशर कम करती है, मूत्रमार्ग का संक्रमण दूर करती है और एसिडिटी में राहत देती है।
दिल की बीमारी से राहत पाने के लिए दिल को स्वस्थ रखना सबसे ज्यादा जरूरी होता है। लौकी का सेवन करने से दिल की बीमारी के खतरे को कुछ हद तक कम किया जा सकता है। प्रतिदिन 100-150 मिली मीठी लौकी के रस का सेवन हृदय रोगों को रोकता है।
कुछ ही लोगों को ये पता होगा कि लौकी खाने से वजन कम होता है। आपको शायद इस बात पर यकीन न हो लेकिन किसी भी दूसरी चीज की तुलना में लौकी ज्यादा तेजी से वजन कम करती है। आप चाहें तो लौकी का जूस नियमित रूप से पी सकते हैं. इसके अलावा आप चाहें तो इसे उबालकर, नमक डालकर भी इस्तेमाल में ला सकते हैं।
गर्मी हो या सर्दी एड़ियों के फटने से लोग परेशान रहते हैं। थूहर के दूध में तने को विड नमक एवं सौवर्चल नमक के साथ पीसकर, तीन दिन तक कड़वी तुम्बी में रखकर फिर पैरों में लगाने से विपादिका में लाभ होता है।शुक्तिभस्म, सेंधानमक, घी, सर्जरस तथा थूहर के दूध को कड़वी तुम्बी में रखकर पैरों पर लेप करने से पादस्फूटन शीघ्र नष्ट हो जाता है।
मदनफल को गोमूत्र से पीसकर, भेड़ के दूध में पकाकर, कड़वी तुम्बी में रखकर पैरों में लेप करने से विपादिका में लाभ होता है।
लौकी में नेचुरल वॉटर होता है. ऐसे में इसके नियमित इस्तेमाल से प्राकृतिक रूप से चेहरे की रंगत निखरती है। आप चाहें तो इसके जूस का सेवन कर सकते हैं या फिर उसकी कुछ मात्रा हथेली में लेकर चेहरे पर मसाज कर सकते हैं।
इसके अलावा लौकी की एक स्लाइस को काटकर चेहरे पर मसाज करने से भी चेहरे पर निखार आता है।
इसमें एंटीबैक्टीरियल गुण खराब बैक्टीरिया को त्वचा से दूर रखने का काम करते हैं। वहीं, लौकी की एंटीऑक्सीडेंट प्रॉपर्टीज त्वचा को चमकदार बनाती हैं। लौकी का जूस पीने से स्किन में ग्लो आने के साथ ही पिम्पल्स आदि की समस्या भी धीरे-धीरे ठीक हो जाती है।
मधुमेह के रोगियों के लिए लौकी किसी वरदान से कम नहीं है। प्रतिदिन सुबह उठकर खाली पेट लौकी का जूस पीना मधुमेह के मरीजों के लिए बहुत फायदेमंद होता है। 10-20 मिली कड़वी लौकी के स्वरस में 1 बड़ा चम्मच आँवला का रस मिलाकर, प्रतिदिन एक बार कुछ महीनों तक सेवन करने से यह अग्न्याशय के आइलेट सेल्स ऑफ लैंगरहैन्स को स्वाभाविक इन्सुलिन स्रवित करने में मदद करता है। इस तरह यह मधुमेह के रोगी की रक्त शर्करा को कम करता है तथा मधुमेह-जन्य नर्व में सूजन, रक्त की कमी, सामान्य दुर्बलता आदि कष्टों को कम करता है।
अगर आपको पाचन क्रिया से जुड़ी कोई समस्या है तो लौकी का जूस आपके लिए बेहतरीन उपाय है। लौकी का जूस काफी हल्का होता है और इसमें कई ऐसे तत्व होते हैं जो कब्ज और गैस की समस्या में राहत देने का काम करते हैं।
लौकी में कई तरह के प्रोटीन, विटामिन और लवण पाए जाते हैं। इसमें विटामिन ए, विटामिन सी, कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम पोटेशियम और जिंक पाया जाता है। ये पोषक तत्व शरीर की कई आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं और शरीर को बीमारियों से सुरक्षित भी रखते हैं।
लौकी का इस्तेमाल करना दिल के लिए बेहद फायदेमंद होता है। इसके इस्तेमाल से हानिकारक कोलेस्ट्रॉल कम हो जाता है. कोलेस्ट्रॉल की मात्रा अधिक होने से दिल से जुड़ी कई बीमारियों के होने का खतरा बढ़ जाता है। आजकल के अंसतुलित जीवनशैली की देन है बवासीर की बीमारी लेकिन लौकी का सेवन इस तरह से करने पर जल्दी आराम मिलता है।
मीठी लौकी बीज तथा नमक को काञ्जी से पीसकर, बत्ती बनाकर, एक-एक कर तीन वर्त्ति गुदा में रखने से तथा भोजन में दही खाने से अर्श के अंकुरों का निवारण होता है। अर्क दूध, थूहर काण्ड, कड़वी तुम्बी के पत्ते तथा करंज बीज मज्जा को बकरे के मूत्र से पीसकर अर्श या पाइल्स के मस्सों पर लेप करने से लाभ होता है। तुम्बी बीज को सैंधव लवण तथा अम्ल यवागू के साथ पीसकर वटी बनाकर प्रयोग करने से अर्श में लाभ होता है।
मासिक धर्म या पीरियड्स होने के दौरान बहुत तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जैसे- मासिक धर्म होने के दौरान दर्द होना, अनियमित मासिक धर्मचक्र, मासिक धर्म के दौरान रक्तस्राव या ब्लीडिंग कम होना या ज्यादा होना आदि। कड़वी तुम्बी बीज, जमालगोटा, पिप्पली, गुड़, मदनफल, सुराबीज (किण्व) तथा यवक्षार को थूहर के दूध से पीसकर, वर्त्ति या बत्ती बनाकर योनि में धारण करने से मासिक-विकारों तथा योनि-विकारों में लाभ होता है।