मेथी की तासीर गरम होती है। गंगाफल का बघार मेथी से किया। जाता है। बहुत से अचारों में भी मसाले के साथ मेथी पीसकर मिलाई जाती है। गांव तथा शहर सभी जगह जाड़े के मौसम में मेथी का साग बड़े स्वाद से खाया जाता है।
इसे मेथिका भी कहते हैं। यह बात रोग नाशक, दीपनी, उष्ण, हृदय को बल देने वालों, कृमि नाशक, वायु गोला, उदरशूल तथा कफ में लाभदायक है मेथी के चिकित्सीय उपयोग इस प्रकार हैं। थोड़ी-सी मेथी को देशी घी में भून लें। फिर इसको पीसकर थोड़ी-सी शक्कर मिलाएं। अब इसके छोटे-छोटे लड्डू बांध लें। सुबह-शाम एक-एक लड्डू दूध के साथ सेवन करें। वात रोग ठीक हो जाएगा।
वात रोगों को पनपने नहीं देती मेथी अतिसार मेथी के साग को घी में भूनकर जरा-सा सेंधा नमक डालकर खाने से अतिसार शान्त होता है। मेथी के पत्तों का रस पीने से भी अतिसार के रोगी को काफी लाभ मिलता है।
गुड़ में मेथी का पाक बनाकर खाने से गठिया रोग दूर होता है। मेथी को तेल में पकाकर गठिया वाले स्थानों पर लगाने से भी गठिया का दर्द ठीक हो जाता है। यह बहुत ही उम्दा नुस्खा बताया जाता है। चोट की सूजन मेथी के पत्तों की पुल्टिस बांधने से चोट की सूजन खत्म हो जाती है।
मेथी के पत्तों का साग सूखी रोटी के साथ खाने से कब्ज टूटता है और मल साफ आता है। मेथी की पत्तियों को घी में भूनकर नमक के साथ खाएं अथवा 3 ग्राम मेथी का चूर्ण फांककर ऊपर से गुनगुना पानी पी लें। दोनों प्रयोगों से बुखार उतर जाता है। 100 ग्राम मेथी के दानों को पीसकर रख लें। इसमें से 5 ग्राम चूर्ण पानी के साथ सेवन करें। मेथी का चूर्ण आटे में मिलाकर रोटी बनवाकर खाने से भी मधुमेह का रोग जाता रहता है।
मेथी के पत्तों को पीसकर पानी में घोलकर सुबह-शाम सेवन करें। मेथी के पत्तों को शरीर में भी मलें। इससे शरीर की जलन दूर होती है। खूनी बवासीर दो चम्मच मेथी के दानों का चूर्ण एक कप पानी में डालकर काढ़ा बनाकर सेवन करें।
त्वचा के जल जाने पर मेथी के दानों को पानी में पीसकर लेप लगाएं। इससे फफोले नहीं पड़ते और जलन दूर होती है। भूख न लगना 5 ग्राम मेथी दाना घी में भून लें। फिर इसे पीसकर शहद के साथ चाटें। कुछ दिनों तक इसका सेवन करने से भूख खुलकर लगती है।
मेथी एक पत्तेदार वाली फसल है, जिसकी खेती देशभर में की जाती है. इसकी गिनती मसालेदार फसलों में होती है, साथ ही इसका उपयोग दवाओं को बनाने में भी किया जाता है. मेथी एक पत्तेदार वाली फसल है, जिसकी खेती देशभर में की जाती है। इसकी गिनती मसालेदार फसलों में होती है, साथ ही इसका उपयोग दवाओं को बनाने में भी किया जाता है. इसलिए साल भर इसकी मांग रहती है. मेथी में प्रोटीन, सूक्ष्म तत्त्व विटामिन समेत विटामिन भी होता है.
इसकी मांग आयुर्वेद में भी खूब की जाती है. खासतौर मेथी के बीज सब्जी और अचार बनाने में इस्तेमाल किए जाते हैं. अगर किसान मेथी की खेती वैज्ञानिक तकनीक से करें, तो इसकी फसल से अच्छी उपज हो सकती है.
मेथी की अच्छी उपज के लिए ठंडी जलवायु की आवश्यकता पड़ती है. इस फसल में कुछ हद तक पाला सहन करने की कूवत होती है. तो वहीं वातावरण में ज्यादा नमी होने या फिर बादलों के घिरे रहने से सफेद चूर्णी, चैंपा जैसे रोगों का खतरा रहता है.
कई बीमारियों में मेथी खाने की सलाह दी जाती है. आइए आपको बताते है कि कैसे मेथी की खेती वैज्ञानिक तरीके से करें और ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमाए.
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