LIC के प्रस्तावित IPO के लिए 25 से अधिक एंकर निवेशकों ने दिलचस्पी दिखाई है। खास बात यह है कि इन निवेशकों में केवल भारत से ही नहीं बल्कि विदेश के निवेशक भी शामिल हैं। सरकार अगले महीने बाजार से 21,000 करोड़ रुपये जुटाने के लिए LIC में अपनी 3.5 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की योजना बना रही है। वर्ष 1956 में LIC के गठन के समय सरकार ने 5 करोड़ रुपये का शुरुआती निवेश किया था।
LIC में सरकार की हिस्सेदारी 51 फीसदी से कम नहीं होगी
LIC के प्रबंध निदेशक सिद्धार्थ मोहंती ने कोलकाता में कहा कि, IPO के जरिए सरकारी हिस्सेदारी में कुछ कमी होने के बावजूद LIC अधिनियम की धारा 37 के तहत इस पर सरकार का नियंत्रण बना रहेगा। उन्होंने कहा कि LIC में सरकार की हिस्सेदारी 51 फीसदी से कम नहीं होगी। मोहंती ने एक सवाल के जवाब में कहा, ‘सरकार ने LIC की तरफ से नए शेयर जारी करने का रास्ता नहीं अपनाया। इसके बजाय मौजूदा शेयरों की ही बिक्री करने का विकल्प चुना गया।’
LIC के पास पर्याप्त नकदी
मोहंती ने कहा कि केंद्र ने पिछले 2 वर्षों में LIC से लाभांश नहीं लिया और 5,600 करोड़ रुपये वापस भी कर दिए। इस तरह LIC के पास पर्याप्त नकदी है। IPO आने के बाद LIC का संचालन एक पेशेवर निदेशक मंडल करेगा जिसमें 9 स्वतंत्र निदेशक शामिल होंगे। मोहंती के मुताबिक चेयरमैन का पद वर्ष 2024 तक ही रहेगा और उसके बाद प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारीsss की तैनाती होगी।