Lifestyle

जानिए मूली खाने के चमत्कारी फायदे, खत्म कर देंगे कई बीमारियां जानने के लिए यहा क्लिक करे

मूली को संस्कृत में चाणक्य, मूलक, भूमिकक्षार, दीर्घकन्द, क्षारमूला, नीलकंठ, राजुक, रुचिर इत्यादि कहते हैं। मूली सलाद, कच्ची व सब्जी के रूप में सारे भारतवर्ष में खायी जाती है। इसका पौधा 1 फीट से डेढ फीट तक ऊंचा होता है। इसके पत्तों पर बारीक-बारीक रोएं होते हैं।

इसकी जड़ जमीन से सीधी जाती है। यह सफ़ेद और लाल रंग की होती है। इसकी जड़ और पत्तों की तरकारी बनाकर सब जगह खायी जाती है । इसकी जड़ और बीजों में से एक प्रकार का सफ़ेद रंग का तेल निकाला जाता है। इसकी गंध अच्छी नहीं होती है।

इसके बीजों का तेल सफ़ेद रंग का और पानी से भारी होता है। इस तेल में मूली के समान ही स्वाद होता है। मूली के बीजों के तेल में गंधक का काफ़ी अंश रहता है। कच्ची मूली स्वाद में कड़वी, चरपरी, मीठी व स्वभाव से गरम होती है।

यह अग्निवर्धक, कृमिनाशक, वात को दूर करने वाली, बवासीर व सब प्रकार की सूजन में उपयोगी होती है। हृदयरोग, हिचकी, कुष्ठ, हैजा में भी यहलाभदायक होती है। यह रुचिकारक, हल्की, अग्निदीपक, हृदय को हितकारी, पाचक, सारक बलकारक, मूत्रदोष, बवासीर, गुल्म, क्षय, श्वास, खांसी, नेत्र रोग,

नाभिशूल, कफ, वात, कण्ठरोग, दाद, शूल, पीनस और व्रण का नाश करती है। पुरानी मूली ऊष्ठावीर्य तथा शोथ, दाह, पित्त और रुधिर विकारों को उत्पन्न करती है। हल्दी के साथ खायी हुई मूली बवासीर, शूल और हृदयरोग का नाश करती है।

मूली की फली ‘मागरी’ कुछ गरम और कफ, वातनाशक होती है। मूली के बीज कफ निस्सारक मूत्रल, मृदुविरेचक, शोधक और पेट के आफरे को दूर करने वाले होते हैं। पंजाब में ये बीज ऋतुस्राव नियामक माने जाते हैं। मूली की जड़ पेशाब सम्बन्धी शिकायतों को दूर करती है।

इसके ताज़े पत्तों का रस मूत्रल व शुगर की बीमारी में लाभदायक होता है। बवासीर व जठरशूल के लिए यह उपयोगी वस्तु है। इसके बीजों के चूर्ण को 3 माशे की मात्रा में देने से मासिक धर्म की रुकावट मिटकर रजोधर्म साफ़ होता है। मूली के बीजों को उचित मात्रा में कुछ दिनों तक लेने से मूत्राशय की पथरी गल जाती है।

मूली का स्वरस पिलाने से पेशाब होने के समय की जलन और वेदना मिट जाती है। गुर्दे की खराबी में यदि पेशाब का बहना बन्द हो जाये, तो मूली का रस पीने से वह फिर से बनने लगता है। इसके बीजों को पौने चार माशे की मात्रा में देने से मूत्रकृच्छ में लाभ होता है।

कच्ची मूली को खाने से बवासीर से गिरने वाला खून बन्द हो जाता है। मूली के स्वरस में नमक और मिर्ची डालकर पिलाने से आमाशय का शूल मिटता है। सूखी मूली के टुकड़ों को औंटाकर पिलाने से श्वास और हिचकी में लाभ होता है।

इसके बीजों को अपामार्ग के क्षार के साथ पानी में पीसकर लेप करने से श्वेत कुष्ठ में लाभ होता है। मूली के बीजों को पीसकर गरम जल के साथ लेने से गला साफ़ होता है। मूली के पत्तों को छाया में सुखाकर, उनको पीसकर, समान भाग शक्कर मिलाकर में 40 दिन तक लगातार लेने से बवासीर मिटती है।

मूली के बीजों को तेल में औंटाकर उस तेल की कामेन्द्रिय पर मालिश करने से कामेन्द्रिय की शिथिलता दूर होकर उनमें उत्तेजना पैदा होती है। मूली के पत्तों को 3 तोले रस में 1 तोला तेल सिद्ध करके कान में टपकाने से कान की पीड़ा मिटती है। मूली के बीजों को बकरी के दूध के साथ पीसकर लेप करने से कण्ठमाला में लाभ होता है।

Hindustan Coverage

Recent Posts

क्या 5 साल से कम उम्र के बच्चों का भी लगेगा ट्रेन टिकट ? जानिए क्या है हकीकत

भारतीय रेलवे की मदद से रोजाना लाखों लोग एक जगह से दूसरी जगह की यात्रा…

1 year ago

जानिए कौन हैं भगवान शिव की पुत्री अशोक सुंदरी ? कैसे हुआ था अशोक सुंदरी का जन्म ?

सावन महीने की शुरूआत हो चुकी है । इस महीने में भगवान शिव की विशेष…

1 year ago

फिर से बदली जा सकती है स्मार्टफोन की बैटरी! जानें इसके फायदे और नुकसान

एक समय था कि जब हम स्मार्टफोन में बैटरी बदल सकते थे। लेकिन स्मार्टफोन ब्रांड…

1 year ago

चंद्रयान-3 आज होगा लॉन्च, जानिए कैसे देख सकते हैं चंद्रयान की उड़ान

भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ISRO आज चंद्रयान-3 मिशन को आज यानी 14 जुलाई को लॉन्च करने…

1 year ago

सावन का पहला सोमवार आज, जाने पूजन की विधि और महत्व

सावन मास को हिंदू धर्म में सबसे पवित्र महीना माना गया है, और भगवान शिव…

1 year ago

इस शहर मे टमाटर बिक रहे है मात्र 35 रुपये प्रति किलो! जाने क्या है कारण

भारत मे इन दिनों टमाटर के दाम आसमान छु रहे है। लोग टमाटर के दामों…

1 year ago