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लाखों की दवाइयों से भी ज्यादा फायदेमंद है ये चीज, कब्ज, नेत्र रोग ओर पाचन के रोग से मिल जाएगा छुटकारा

नमक को संस्कृत में लवण, सैंधव, मराठी में मीठ तथा गुजराती में मीठू कहते हैं। नमक मानव के लिए एक अनिवार्य वस्तु है। इसके बारे में सभी जानते हैं। समुद्र के खारे पानी को क्यारियों में जमाकर तथा उसे आधुनिक मशीनों द्वारा साफ व शुद्ध किया जाता है। नमक की कई जातियां होती हैं, जैसे सेंधा नमक, साम्भर नमक, काला नमक, संचर नमक तथा वीड़ नमक इत्यादि । इन सबमें सेंधा नमक सबसे उत्तम माना गया है। इसलिए यदि किसी औषधि या अन्य पदार्थों में किसी खास जाति के नमक का नाम नहीं आया हो, तो वहां पर नमक के नाम से सेंधा नमक ही इस्तेमाल करना चाहिए।

गुण-धर्मः सेंधा नमक अपने गुण के अनुसार रुचिकारक, शुद्ध, स्वादिष्ट, हल्का पाचक, हृदय को हितकारी, त्रिदोषनाशक, नेत्रों को हितकारी, वीर्यवर्धक, अग्निदीपक, व्रण दोष और कब्जियत को मिटाने वाला होता है। सेंधा नमक आंखों के लिए बहुत लाभदायक है।

औषधीय उपयोगः

जिस आदमी का मल सूख गया हो और दस्त न आता हो, उसको घी के साथ सेंधा नमक देने से तुरन्त दस्त आ जाता है। सेंधा नमक को तेल के साथ लगाने से अनेक प्रकार के त्वचा रोग दूर हो जाते हैं। प्रतिदिन सुबह-शाम भोजन से पहले 10-20 रत्ती की मात्रा में नमक सेवन करने से शरीर में कृमि पैदा नहीं होते हैं तथा आंतों के भीतर रहने वाले बारीक कीड़े नमक व पानी का एनिमा देने से मर जाते हैं व मल के साथ बाहर आ जाते हैं।

मनुष्य के शरीर में रक्त व पित्त में आवश्यक सोडा, क्षार तथा पित्त में रहने वाला लवण तत्व नमक के सेवन से ही पैदा होता है। नमक के बिना शरीर अरोग्य नहीं रह सकता है। इसके अभाव से रक्त में निकृष्टता पैदा होती है, जिससे ज्वर, रक्तस्राव, विशूचिका इत्यादि अनेक रोग उत्पन्न होते हैं। अत: शरीर को स्वस्थ रखने के लिए हमेशा नमक को छोटी मात्रा में सेवन करते रहना चाहिए। अधिक रक्तस्राव, बेहोशी, हैजा या अनेक प्रकार के विषज्वरों में नमक का इंजेक्शन देने से आश्चर्यजनक लाभ होता है।

बिच्छू के जहर पर जब औषधियां निष्फल हो जायें, तब गरम पानी में नमक डालकर डंक वाले भाग को उस पानी में डुबोने से शान्ति मिलती है, पर वह पानी ठण्डा न हो जाये, इसलिए बार-बार उसमें दूसरा गरम पानी डालना चाहिए। निमोनिया के अन्दर अगर फेफड़ों में बहुत वेदना होती हो, तो नमक की पोटलियों से सेक करने पर कफ पतला होकर निकल जाता है और वेदना रुक जाती है। नमक को जलाने पर उसमें से क्लोरिन गैस. निकलकर हवा में मिलती है। यह हवा श्वासोच्छवास के द्वारा शरीर में जाती है। अगर इसमें गैस का परिमाण अधिक मात्रा में होता है, तो यह मनुष्य को बेहोश कर देती है। लेकिन यदि गैस का परिमाण साधारण मात्रा में होता है, तो यह अनेक रोगों को नष्ट करने में उपयोगी सिद्ध होती है?

नोट – नमक की औषधीय मात्रा एक से सात माशे तक है। इसका अधिक सेवन दिमाग, फेफड़े व कमजोर आदमी के लिए हानिकारक है। इसके सेवन से जब कभी तकलीफ महसूस हो घी, दूध, मक्खन या अन्य चिकनी वस्तुओं का सेवन करना चाहिए।

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