बिजोरा नीबू को हिन्दी में बड़ा नीबू, तुरन्ज तथा संस्कृत में बीजपुर, बीजफलक, अम्लकेशर, महाजरण, मातुलुङ्ग इत्यादि कहते हैं। यह नीबू की ही जाति का एक फल है, लेकिन इसका फल बहुत बड़ा होता है। इसका पेड़ नीबू की तरह का कांटेदार होता है। यह भारतवर्ष में सभी जगह पाया जाता है।
यह स्वाद में खट्टा होता है। स्वभाव से शीतल होता है। इसकी जड़ कृमिनाशक होती है। यह पेट के दर्द को दूर करती है। वमन, मूत्र सम्बन्धी, पथरी रोग और दन्तरोग में उपयोगी है। इसकी कलियां और फूल उत्तेजक और आंतों के लिए संकोचक होते हैं।
भूख बढ़ाते हैं, वमन की शिकायत व नशे को दूर करने में लाभदायक हैं। इसके पके फल उत्तेजना देने वाले, पाचक और पौष्टिक होते हैं। बिजोरा नीबू कुष्ठ को दूर करने वाला, गले के घाव अच्छा करने वाला और कफ, दमा, प्यास, कुक्कुर खांसी आदि में फायदेमंद है। इसके फल का छिलका वात और कफ का नाशक है।
इसके बीज अपथ्य, भारी, उत्तेजक, पौष्टिक व गरम होते हैं। इसके बीज बवासीर एवं पित्त विकार में लाभदायक हैं। इसका फल ज्वरनाशक, वृषानिवारक और संकोचक होता है। उल्टी में बिजौरा नींबू की 10-20 ग्राम जड़ों को 200 मिलीलीटर पानी में उबालकर चतुर्थाश शेष काढ़ा पिलाने से वमन बंद होती है।
पाचन शक्ति भोजनोपरांत अगर उल्टी आती है तो सायंकाल के समय बिजौरा नींबू का ताजा रस 5-10 ग्राम पिलाने से पाचन शक्ति में आराम मिलता है। तिल्ली रोग में बिजौरा नींबू का अचार खाने से तिल्ली रोग में लाभ होता है।
मूत्र पथरी में बिजौरा नींबू उत्कृष्ट परिणाम देता है। बिजौरा का रस पथरी को तोड़कर और पिघलाकर निकाला जाता है। यदि पथरी ज्यादा बड़ी न हो तो दो चम्मच बिजौरा नींबू का रस एक चुटकी जवखर या सिंधव में मिलाकर दिन में दो से तीन बार पीने से कुछ ही दिनों में पेशाब की पथरी दूर हो जाती है।
मूत्रविकार मूत्र में रेत आने पर बिजौरा नींबू की मूल की छाल का 2-5 ग्राम चूर्ण का सेवन सुबह-शाम के बासी जल के साथ प्रयोग करने से मूत्रविकार ठीक हो जाता है।पेट के कीड़े में बिजौरा नींबू के बीजों की 5-10 ग्राम गिरी की फंकी गर्म जल के साथ सेवन करने से आँतों के कीड़े मरते हैं।
रक्तपित्त में बिजौरी नींबू की जड़ और बिजौरा नींबू के फूलों का चूर्ण बराबर-बराबर मात्रा में लेकर चावल की मांड के साथ सेवन करने से रक्तपित्त ठीक हो जाता है।खुजली से परेशान व्यक्ति को गंधक को बिजौरा नींबू के रस में मिलाकर लेप करने से खुजली मिटती है।
कूल के जोड़ों की पीड़ा में बिजौरा नीबू के 10 ग्राम रस में 500 मिलीग्राम यवक्षार और 2 चम्मच खंड मिलाकर प्रयोग करने से कमर का दर्द में शीघ्र लाभ होता है।सूजन से ग्रसित व्यक्ति को बिजौरा नींबू के बीजों को पीसकर इनका लेप सूजन तथा चर्म रोगों में लाभकारी है।
निद्रा लाने वाले तीक्ष्ण विषों के प्रभाव को नष्ट करने के लिए बिजौरा नींबू का रस 10-20 ग्राम मात्रा में थोड़ी-थोड़ी देर से पिलाने से निंद्रा दूर हो जाती है।मुंह के छाले में बिजौरा नींबू में मौजूद सिट्रिक और एस्कॉर्बिक एसिड मजबूत एंटीमाइक्रोबायल हैं जो मुंह के छाले को नष्ट कर देते है।
बिच्छू विष उतरने के लिए बिजौरा नीबू का अर्क 20-30 बून्द कान में टपकाने से या फिर पत्तों को पानी में पीसकर टंक वाले स्थान पर लेप करने से बिच्छू विष उत्तर जाता है।मकड़ी के विष को उतरने के लिए बिजौरा नीबू का अर्क 20-25 बून्द कान में टपकाने से या नीबू के पत्तों को पानी में पीसकर लेप करने से मकड़ी का विष उत्तर जाता है।
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