NSA को National Security Act या राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (nsa act india) भी कहा जाता है। रासुका ऐसा कानून है जो एक जमाने में कांग्रेस की सरकार ने बनाया था, लेकिन ये आज भी लागू है। इसका इस्तेमाल केंद्र और राज्य में बीजेपी सरकारों ने भी खूब किया है। दिल्ली के जहांगीरपुरी (violence in jahangirpuri) में शोभायात्रा के दौरान हिंसा को लेकर उन 5 लोगों के खिलाफ रासुका यानि NSA लगाई गई है, जिन्हें पुलिस इस मामले में साजिश रचने, उकसाने और हिंसा करने की दोषी मान रही है।
संदिग्ध नागरिक को हिरासत में लेने की शक्ति-रासुका बहुत कड़ा कानून है। इसके तहत कोई FIR दर्ज नहीं की जाती है और आरोपी-दोषी को सीधे गिरफ्तार कर लिया जाता है। यह कानून केंद्र और राज्य सरकार को किसी भी संदिग्ध नागरिक को हिरासत में लेने की शक्ति देता है। इसके अलावा अगर कोई शख्स आवश्यक आपूर्ति और सेवाओं के रखरखाव तथा सार्वजनिक व्यवस्था को किसी भी तरह से बाधित करता है तो उस पर भी रासुका के तहत कार्रवाई हो सकती है। वैसे तो इसके तहत एक साल की सजा का प्रावधान है, लेकिन अगर सरकार को मामले से जुड़े नए सबूत मिल जाएं तो सजा और लंबी हो सकती है।
नागरिकों के अधिकारों की अनदेखी हो सकती है- आमतौर पर किसी को गिरफ्तार किया जाए तो भी उसके मूल अधिकारों की रक्षा की बात होती है। इसके तहत आरोपी या दोषी को ये जानने का अधिकार है कि उसकी गलती क्या है। संविधान में भी अनुच्छेद 22 (1) में कहा गया है कि गिरफ्तार को दोष जानने और परामर्श पाने का हक है। हालांकि रासुका में इन अधिकारों की अनदेखी की जा सकती है। इसमें गिरफ्तारी के समय नहीं बताया जाता है कि असल में किन आरोपों या कामों के लिए गिरफ्तारी हो रही है। कोर्ट में भी इसकी सुनवाई आसानी से नहीं होती।
अंग्रेज हुकूमत से है यह कानून- इस कानून की शुरुआत अंग्रेजी हुकूमत के समय से है। बंगाल विनियमन- III, 1818 (Bengal Regulation- III, 1818) के तहत अंग्रेज सरकार किसी को भी बिना किसी कानूनी प्रक्रिया यानी जांच से गुजारे बगैर बंद सकती थी। ये एक बड़ी ताकत थी, जो हुकूमत के खिलाफ बोलने वालों को कम से कम कुछ समय के लिए चुप कर पाती थी।