वैशाख माह में वाद पक्ष की एकादशी को अपरा या अचला एकादशी कहा जाता है। इस एकादशी व्रत के साथ भगवान विष्णु और लक्ष्मीजी की पूजा करने से धन की देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और साधक को अपार धन की प्राप्ति होती है, इसलिए इसे अपरा एकादशी कहते हैं।
इस बार यह व्रत 26 मई गुरुवार को होगा। पद्म पुराण में अपरा एकादशी भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए की जाने वाली एकादशी व्रत का उल्लेख कई शास्त्रों में मिलता है। पद्म पुराण के अनुसार अपरा एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को प्रेत बनकर कष्ट नहीं उठाना पड़ता है।
अपरा एकादशी को अचला एकादशी, भद्रकाली एकादशी और जलक्रीड़ा एकादशी भी कहा जाता है। इस व्रत को करने से जाने-अनजाने किए गए सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। पद्मपुराण में कहा गया है कि इस एकादशी का व्रत करने से आर्थिक परेशानी दूर होती है।
शास्त्रों में उल्लेख है कि दूसरों को अनदेखा करना, झूठ बोलना, धोखा देना ये सभी पाप हैं जो व्यक्ति को फिर से जन्म लेने से पहले ही परिणाम भुगतने पड़ते हैं। इस एकादशी का व्रत करने से इस पाप के प्रभाव को कम किया जा सकता है।
तुलसी पान, चंदन और गंगाजल से करें पूजन एकादशी के दिन स्नान कर भगवान विष्णु की पूजा करें। पूजा में तुलसी के पत्ते, चंदन, गंगाजल और मौसमी फलों का प्रसाद चढ़ाना चाहिए। इस दिन दूसरों को नजरअंदाज करने, झूठ बोलने और धोखा देने से दूर रहने का संकल्प लेना चाहिए। जो लोग किसी भी कारण से उपवास नहीं कर सकते हैं उन्हें एकादशी के दिन चावल और उसके उत्पादों का सेवन नहीं करना चाहिए।
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