गांवों में पपीते का पेड़ घर-घर में देखने को मिल जाता है पपीते का फल लम्बा होता है। कच्चे पपीते के दूध से ‘पेपन’ नामक पदार्थ बनाया जाता है पपीते का फल, बीज और पत्ते विभिन्न प्रकार के रोगों में काम आते हैं।
कच्चा पपीता मलरोधक, कफ-वात पैदा करने वाला तथा देर से पचने वाला होता है। लेकिन पका पपीता स्वादिष्ट, मधुर, रुचिकारक, पित्त नाशक, पेट में जमे मल को निकालने वाला एवं आंखों की ज्योति बढ़ाने वाला होता है।
यह बवासीर, दाद, कृमि तथा पेट के रोगों के लिए बहुत लाभकारी होता है यदि छोटे बच्चों को जिगर बढ़ने की शिकायत हो तो उन्हें पपीते का रस सुबह-शाम पिलाना चाहिए ।
कच्चा पपीता उबालकर खाने से पुराने दस्त रुक जाते हैं। कब्ज एक कप पपीते के रस में जरा-सी कालीमिर्च का चूर्ण मिलाकर पीने से पुराने से पुराना कब्ज भी ठीक हो जाता है।
कृमि पपीते के 10-12 बीज पीसकर पानी में घोलकर पिलाने से बच्चों के पेट के कीड़े मर जाते हैं। फिर वे मल के साथ बाहर निकल जाते हैं नित्य पपीता खाने तथा उसका रस मुंह पर मलने से चेहरे की सुन्दरता बढ़ती है।
एक कप पपीते के रस में एक चुटकी सफेद इलायची का चूर्ण मिलाकर नित्य सेवन करने से पीलिया का रोग चला जाता है। पपीते का दूध दाद पर लगाने से दाद खत्म हो जाता है। दुग्ध वृद्धि कच्चे पपीते की सब्जी खाने से माताओं के स्तनों में दूध की. वृद्धि होती है।
ज्यादातर लोगों को पपीता बहुत पसंद होता है। कुछ लोग इसे खाली पेट खाना पसंद करते हैं,तो कुछ सलाड़ के रूप में खाते हैं तो वहीं कुछ लोग शरीर की डिटॉक्सिंग के लिए पपीते का जूस पीते हैं।
पपीते में ढेर सारे औषधीय गुण मौजूद हैं और यह ऐंटीबैक्टेरियल और ऐंटीफंगल के रूप में काम करता है। इतना ही नहीं इसके पत्ते डेंगू बुखार से लड़ने में भी इस्तेमाल किए जाते हैं। इतने गुणों से भरपूर पपीते का नकारात्मक पक्ष भी है।
एक फल के रूप में पपीता के कई लाभ हैं लेकिन इसके बीज और जड़ गर्भपात का कारण बन सकते हैं। इसके अलावा, कच्चा पपीता खाने से गर्भाशय के संकुचन का खतरा हो सकता है।
हालांकि यह खतरा पके हुए पपीते में बहुत अधिक मात्रा में नहीं होता, बावजूद इसके गर्भावस्था के दौरान पपीता नहीं खाना चाहिए। ज्यादातर लोग इस बात को लेकर आश्वस्त रहते हैं कि पपीता उनके लिए सबसे अच्छा फल है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि आप इसे बहुत अधिक मात्रा में खाएं।
अधिक पपीता खाने से आपके इसाफ़गस यानी भोजन की नली में रुकावट आती है और नली को नुकसान पहुंच सकता है। एक दिन में एक कप से अधिक पपीता न खाएं। पपीता के पत्तों में पेपीन पाया जाता है जो बच्चे के लिए विष हो सकता है और यहां तक कि इससे जन्मजात दोष भी हो सकता है।
स्तनपान के दौरान पपीता खाना कितना सुरक्षित है इस बारे में भी अब तक बहुत कुछ पता नहीं चल पाया है। लिहाजा बच्चे के जन्म से पहले और जन्म के बाद भी जब तक मां, बच्चे को अपना दूध पिलाती है उन्हें पपीता खाने से बचना चाहिए.पपीता में मौजूद लेटेक्स की वजह से कुछ लोगों में ऐलर्जी हो सकती है।
कच्चे पपीते में लेटेक्स की मात्रा ज्यादा होती है ऐसे में एक बार फिर कच्चा पपीता जोखिम भरा फल हो सकता है। पपीता खाने से ब्लड शुगर कम हो सकता है। ऐसे में अगर आप ब्लड प्रेशर नियंत्रित करने के लिए दवा खा रहे हैं,