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बिना किसी उपचार और खर्च के हृदय रोग स्थायी रूप से दूर,ब्लॉकेज ट्यूब को खोलने के लिए 100% प्रभावी आयुर्वेदिक उपचार

हृदय रोग से ज्यादातर वे लोग पीड़ित होते हैं जो दिनभर गद्दी पर बैठे रहते हैं| और हर समय अनाप-शनाप खाते-पीते हैं। इस रोग के शुरू में साधारण दर्द होता है। फिर धीरे-धीरे रोग बढ़ जाता है जो सम्पूर्ण हृदय को जकड़ लेता है।

यह रोग होने पर बड़ी बेचैनी रहती है। अचानक हृदय में पीड़ा उठती है और फिर सारा शरीर जकड़ जाता है। रोगी की सांस रुक-रुककर बड़ी तेजी से चलने लगती है। बेचैनी के साथ-साथ हाथ-पैरों में शिथिलता शुरू हो जाती है।

यदि तुरन्त इस दौरे की चिकित्सा नहीं की जाती तो रोगी की मृत्यु तक हो सकती है। बहुत ज्यादा गरम, गरिष्ठ, खट्टे, कड़वे एवं कसैले पदार्थों का निरंतर सेवन करने, अधिक मेहनत करने या बिलकुल शारीरिक श्रम न करने, मर्म स्थान में अचानक गहरी चोट लगने, अधिक तथा बार-बार भोजन करने, मेदे से निकलने वाले वेगों एवं मल-मूत्र को रोकने, अत्यधिक चिन्ता, भय, शोक, घबराहट, वायु के दूषित रोगों आदि के कारण हृदय रोग पैदा हो जाता है।

हृदय का रोग होने पर दिल में दर्द रहने लगता है। दर्द शुरू होने पर लगता है, जैसे कोई भारी चीज से दिल में चोट कर रहा हो। ऐसे में प्यास अधिक लगती है। माथे पर पसीना आ जाता है। मुख सूख जाता है और कंठ से धुआं-सा निकलता है।

हृदय में भारीपन मालूम पड़ता है। सांस तेजी से चलने लगती है। कई बार रोगी की सारी इन्द्रियां ज्ञानशून्य हो जाती हैं। चक्कर आने के बाद रोगी बेहोश हो जाता है। अत्यधिक बेचैनी तथा घबराहट बढ़ जाती है। जी मिचलाता है और कभी-कभी उल्टी भी हो जाती है।

हाथ-पैर ठंडे पड़ जाते हैं, नब्ज धीरे-धीरे चलती है और रोगी को अपनी मृत्यु दिखाई देने लगती है।
मुलहठी का चूर्ण एक चम्मच की मात्रा में गरम पानी के साथ लेने पर हृदय रोग में काफी लाभ होता है। हृदय रोगियों को काले चने उबलवाकर खाते रहना चाहिए। गाय के दूध में सोंठ डालकर पीते रहें।

अर्जुन वृक्ष की छाल सुखाकर बना लें। इसमें से 10 ग्राम चूर्ण दूध में डालकर उबालें। फिर इस दूध में शक्कर की जगह गुड़ मिलाकर सेवन करें। एक चम्मच अजवायन को एक कप पानी में डालकर औटने के लिए रख दें। जब पानी जलकर आधा कप रह जाए तो छानकर एक चुटकी सेंधा नमक मिलाकर रात को सहता-सहता पिएं।

शहद का अधिक प्रयोग करने से हृदय बलशाली बनता है तथा खून के विकारों को विराम मिलता है। इससे हृदय रोग धीरे-धीरे दूर हो जाता है। गुलाबजल 10 ग्राम, गुलाब की पंखुड़ियां 3 ग्राम तथा धनिया 5 ग्राम सबको पीसकर अच्छी तरह मिलाकर गुनगुने पानी के साथ सेवन करें।

करौंदा हृदय रोग को भी दूर करने में समर्थ है। करौंदे का मुरब्बा, रस, चटनी आदि हृदय रोग को दूर करते हैं। दालचीनी, बंसलोचन, धनिया तथा सूखा गुलाब सबको बराबर की मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। अब इसमें मिश्री पीसकर मिलाएं 5 ग्राम चूर्ण नित्य गाय या बकरी के दूध के साथ सेवन करें। अनार का शरबत पीते रहने से हृदय रोग कम होता जाता है।

जायफल, जावित्री, दालचीनी तथा अकरकरा- इन सबको 10-10 ग्राम लेकर चूर्ण बना लें। इसमें से 4 ग्राम चूर्ण शहद में मिलाकर नित्य सुबह-शाम भोजन के साथ लें। हृदय रोग में फालसे के रस में सोंठ तथा चीनी मिलाकर पीना चाहिए।

रोज चार चम्मच आंवले का रस जरा-से सेंधा नमक के साथ सेवन करें। हृदय का दौरा पड़ने पर अंगूर का रस चम्मच से बार-बार देना चाहिए। दिन में दो बार थोड़ी-सी हींग पानी में घोलकर सेवन करें। हींग रक्त को जमने नहीं देती तथा रक्त संचार ठीक रखती है।

बैंगन को कुचलकर उसका चार चम्मच रस नित्य पिएं। बैंगन की सब्जी हृदय रोगी के लिए बहुत लाभदायक है।

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