RBI ने आज एक चौंकाने वाला फैसला लिया। केंद्रीय बैंक ने रेपो रेट में 40 बेसिस पॉइंट बढ़ोतरी की घोषणा की। इसे चार से बढ़ाकर 4.4 फीसदी कर दिया गया है। RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास ने आज एक बयान में इसकी घोषणा की। उनका बयान ऐसे समय आया है जब महंगाई चरम पर है और यह RBI की निर्धारित सीमा से ऊपर बनी हुई है।
RBI ने अप्रैल में मॉनिटरी पॉलिसी में नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं किया था। देश में खुदरा महंगाई मार्च में 17 महीने का उच्चतम स्तर पर पहुंच गई थी। फूड और मैन्युफैक्चर्ड गुड्स की कीमतो में तेजी से महंगाई ज्यादा बढ़ी। भारतीय रिजर्व बैंक ने बीते 8 अप्रैल को अपनी द्विमासिक मौद्रिक नीति के दौरान रेपो रेट में कोई परिवर्तन नहीं किया था। इसे 4 फीसद पर ही बरकरार रखा था। इसके अलावा RBI ने रिवर्स रेपो रेट को भी 3.35 फीसद पर बरकरार रखने का फैसला लिया है।
RBI की बजट के बाद यह दूसरी और इस वित्त वर्ष की पहली द्विमासिक मौद्रिक नीति थी। उल्लेखनीय है कि रिज़र्व बैंक ने 11 बार प्रमुख ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया था। इससे पहले RBI ने आखिरी बार 22 मई 2020 को प्रमुख ब्याज दरों में बदलाव किया था। इसके बाद से ब्याज दर 4 फीसद के एतिहासिक स्तर पर बनी हुई थी।
जिस रेट पर RBI कमर्शियल बैंकों और दूसरे बैंकों को लोन देता है, उसे रेपो रेट कहते हैं। रेपो रेट कम होने का मतलब यह है कि बैंक से मिलने वाले लोन सस्ते हो जाएंगे। रेपो रेट कम हाेने से होम लोन, व्हीकल लोन वगैरह सभी सस्ते हो जाते हैं।
जिस रेट पर बैंकों को उनकी ओर से RBI में जमा धन पर ब्याज मिलता है, उसे रिवर्स रेपो रेट कहते हैं। रिवर्स रेपो रेट बाजारों में नकदी को नियंत्रित करने में काम आता है। बहुत ज्यादा नकदी होने पर RBI रिवर्स रेपो रेट बढ़ा देती है।
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