जो लोग सिर दर्द को रोग मानते हैं, वे धोखा खा जाते हैं क्योंकि यह रोग है ही नहीं। वास्तव में यह किसी रोग का लक्षण है। यदि यह अधिक तेज नहीं होता तो बगैर किसी दवा के अपने आप ठीक हो जाता है।
कई बार देखा गया है कि अधिक काम करने या मानसिक अशान्ति के कारण सिर में दर्द होने लगता है।
कुछ लोगों को समय से चाय, कॉफी या खाना नहीं मिलता। तो उनका सिर दुःखने लगता है। पेट में कब्ज होने पर भी सिर दर्द की शिकायत हो जाती है। दादी मां की प्रसिद्ध कहावत है- आंव भारी तो माथ भारी। अर्थात् पेट का भारीपन सिर दर्द पैदा कर देता है।
कुछ लोग अधिक भाग-दौड़ के बाद सिर पकड़कर बैठ जाते हैं। बुखार, शरीर में दर्द आदि के कारण भी सिर दर्द हो जाता है। माथे में रोमा विकारयुक्त पानी रुकने के कारण भी सिर में पीड़ा होने लगती है। ऐसा हमारा पहला कर्त्तव्य है कि हम दर्द होने के कारणों का पता लगाएं।
फिर उसे करने का प्रयास करें। सिर दर्द अपने आप जाता रहेगा। मान लिया, किसी व्यक्ि की बहुत ज्यादा मानसिक परिश्रम के कारण सिर दर्द हो गया है। ऐसी दशा गरम-गरम चाय या कॉफी पिलानी चाहिए। माथे में देशी घी मलना चाहिए या म की चम्पी मालिश कर देनी चाहिए।
मानसिक अशांति के कारण भी होता है सिर दर्द इस प्रकार शारीरिक शक्ति के अनुसार काम करने, व्यर्थ की भाग दौड़ से बचने, सदैव प्रसन्न रहने, नियम-संयम बरतने, हल्का व्यायाम करने, धूप में अधिक देर तक न बैठने, बर्फ या फ्रिज का पानी न पीने आदि द्वारा सिर दर्द से बचा जा सकता है।
तरह-तरह के सर्दी-गरमी के बुखार, ठंड लगने, गरमी में घूमने, जुकाम हो जाने या नजला रुक जाने, वायु के रोग, शरीर में रक्त की कमी, मस्तिष्क में तनाव, आंखों का कोई रोग या कम दिखाई देना, वमन होना, पेट में गैस बनने, दस्त साफ न होने आदि के कारण सिर दर्द होने लगता है।
जिन लोगों को अचानक चोट लग जाती है, रक्तचाप का रोग हो जाता है, मधुमेह तथा जाड़ा देकर बुखार आता है, उनके सिर में भी पीड़ा होने लगती है।शराब, सिगरेट, भांग, अफीम आदि का सेवन करने वाले व्यक्तियों को यदि समय पर ये चीजें न मिलें तो उनके सिर में दर्द होने लगता है।
कुछ व्यक्ति एक ही मुद्रा में देर तक काम करते रहते हैं, अतः उनके सिर में दर्द होने लगता है। प्रदूषित वातावरण में रहने, धुआं-धूल के नाक में पहुंचने, दूषित भोजन करने आदि के कारण भी सिर में दर्द होता हे|
बनाने वाली चीजों का अधिक सेवन करे दही या बर्फ का अधिक प्रयोग तथा विरुद्ध भोजन इस रोग की गांठ बांध देता है। इसी प्रकार सिर का दर्द वायु से, पित्त से, खून की खराबी से, धातु क्षय से तथा कृमि से भी हो जाता है।
पहचान- सिर दर्द में ऐसा मालूम पड़ता है, मानो कोई हथौड़ों से चोट कर रहा हो। यदि लगातार तेज दर्द होता है तो आंखें मूंद जाती हैं। कई बार उल्टी भी हो जाती हे
आधे सिर में दर्द रूखा भोजन करने या पेट की वायु सिर तक पहुंचने के कारण होता है। यह दर्द गरदन, कनपटी, कान एवं आंख आदि को जकड़ डालता है। रोगी बस यही सोचता है कि हर हालत में उसके सिर का दर्द रुकना चाहिए।
सिर का दर्द पूरे शरीर को अपनी सीमा में ले लेता है। अतः काम-धाम में उसका मन बिलकुल नहीं लगता। माथे पर देशी घी कुछ देर तक मलने से सिर दर्द रुक जाता है। नाक के छेदों में गाय का घी, गोमूत्र या शहद डालना चाहिए।