औषधीय गुणों से भरपूर फूल है ‘तीता फूल’। इसका उपयोग न केवल सजावट के लिए बल्कि भोजन में भी किया जाता है। यह फूल औषधीय गुणों से भरपूर है। इस फूल को रोंगाबनहेका, कोला बहक, धापत टीटा (असमिया), जंगली नॉनमंगखा (मणिपुरी), तेव-फोटो-आरा (खासी), खाम-चित (गारो) के नाम से भी जाना जाता है।
माना जाता है कि तीता फूल में कई शक्तिशाली औषधीय गुण होते हैं, जो कई गंभीर बीमारियों और पर्यावरणीय संक्रमणों को ठीक करने के लिए एंटीबायोटिक के रूप में कार्य करते हैं। यह लाल फूल गठिया, खांसी और एनीमिया जैसे विकारों को भी ठीक करने की क्षमता रखता है। आइए जानते हैं इस फूल के स्वास्थ्य लाभ क्या हैं?
क्या है तीता फूल ?
तीता फूल का मतलब अंग्रेजी में कड़वा फूल होता है। यह फूल असमिया फसल संस्कृति में एक विशेष स्थान रखता है। यह खाद्य फूल पारंपरिक रूप से अपने शक्तिशाली औषधीय गुणों के कारण भोजन में भी प्रयोग किया जाता है। तो कई बीमारियों और संक्रमणों को ठीक करने के लिए एंटीबायोटिक के रूप में उपयोग किया जाता है।
कैसे किया जाता है तीता के फूल का उपयोग?
तीता फूल को कई तरह से पसंद किया जाता है, हालांकि ज्यादातर लोग इसे खाने में मसाले के तौर पर ही इस्तेमाल करते हैं। जिसका स्वाद थोड़ा कड़वा होता है। स्वाभाविक रूप से यह क्षारीय है। इसका सबसे अधिक उपयोग असमिया भोजन बनाने के लिए किया जाता है। पहले इसका अधिक लाभ लेने के लिए दोपहर के भोजन के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता था।
खून बढ़ाने में मदद करता है तीता फूल
असम के कुछ हिस्सों में, इस फूल का उपयोग गठिया, खांसी और एनीमिया के इलाज के लिए भी किया जाता है। जबकि अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों जैसे मणिपुर और यहां तक कि बांग्लादेश में भी इस फूल का अलग-अलग तरीके से सेवन किया जाता है। कुछ लोग इसे कच्चा खाते हैं या फिर मसाले बनाते हैं। कुछ लोग इस फूल को सब्जियों के साथ मिलाकर चावल या दाल के साथ खाते हैं।
तीता फूल के अन्य फायदे
इस फूल का उपयोग खाने के साथ-साथ औषधीय गुणों के कारण कई उपचारों में भी किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस फूल का उपयोग कच्चा या चाय के साथ-साथ सब्जियों के रूप में भी किया जाता है। इस से सर्दी, खांसी, अस्थमा और त्वचा की बीमारी में फायदा होता है। तीता फूल के पत्ते के अर्क का उपयोग लीवर की समस्याओं के उपचार में किया जाता है।