तुलसी के पौधे को महत्त्वपूर्ण औषधि माना गया है। तुलसी का महत्त्व पौराणिक काल से चला आ रहा है। इसके पत्ते पूजा-अर्चना में भी काम आते हैं। यह वातावरण को शुद्ध रखता है। कहते हैं जिस आंगन में तुलसी का पौधा होता है, वहां सर्प और कीट-पतंगे नहीं आते हैं।
तुलसी के आसपास की मिट्टी भी पौधे के समान ही पवित्र और औषधि योग्य मानी जाती हे तुलसी की ताजा मंजरी बार-बार सूंघने से नकसीर में लाभ होता हे तुलसी के ताजा पत्ते पीसकर फोड़े पर बांधने से लाभ होता है।
तुलसी के रस में शहद मिलाकर चाटने से सूखी व कफ वाली खांसी दूर होती हे तुलसी का रस दिन में कई बार आंख में डालने से लाभ होता है। तुलसी के पत्तों का रस कान में डालने से दर्द दूर होता है। गर्मी से होने वाले सिरदर्द में तुलसी के पत्तों का रस, कपूर व चंदन पत्थर पर घिसकर माथे पर लेप करने से सिरदर्द दूर हो जाता है।
तुलसी के पत्तों का रस, शहद, अदरक और प्याज का रस समभाग लेकर चाटने से सूखा तथा आंतों में जमा कफ ढीला होकर निकल जाता है। उसके बराबर वजन का गुड़ मिलाकर, बकरी के दूध के साथ छोटे बेर के बराबर गोलियां बना लें ओर सुबह-शाम 1-1 गोली का सेवन करने से गठिया रोग में लाभ होता है।
जहरीले कीट के काट लेने पर मंजरी व तुलसी का रस मिलाकर लगाने से जहर उतर जाता है। छोटे बच्चों को हिचकी आने पर तुलसी के पत्ते की बिंदी माथे पर लगाने से हिचकी रुक जाती है। तुलसी के पत्ते तथा कालीमिर्च समभाग पीसकर उसकी गोलियां बना लें।
सुबह-शाम 2-2 गोली पानी के साथ लेने से सभी प्रकार के ज्वर में लाभ होता है। तुलसी के पत्तों का रस मां के दूध के साथ चटाने से बच्चों के दस्त, ज्वर, दूध उलटना आदि रोग दूर हो जाते हैं। तुलसी के पत्तों के रस में नीबू का रस मिलाकर एक सप्ताह तक लगाने से दाद हमेशा के लिए मिट जाता है।
खुजली में भी तुलसी लाभकारी है। काली तुलसी के पत्ते रगड़ने से सफेद दाग ठीक हो जाता है। काली तुलसी के पत्ते चबाकर खाने से चेहरे पर कांति और निखार आता है। तुलसी के बीज या जड़ का चूर्ण बनाकर उसमें समभाग पुराना गुड़ मिलाकर सुबह-शाम ताजा दूध के साथ खाने से नपुंसकता दूर होती है
तुलसी के पत्तों का रस पीने से जुकाम मिटता है। तुलसी के पत्तों को कालीमिर्च के साथ पीसकर गोली बना लें। गोली को दांत-दाढ़ के पास रखकर चूसने से दर्द दूर होता है ।जहरीले सर्प के काटने पर दो मुट्ठी तुलसी के पत्ते खिलाकर,तुलसी की जड़ को पीसकर मक्खन मिलाकर डंक की जगह पर लेप लगा दें।
लेप का रंग काला पड़ने पर भी लेप लगाते रहें। इस प्रकार सारा विष बाहर आ जाएगा। सर्पदंश का यह बहुत ही सफल उपाय है। तुलसी की जड़ तथा नीम की निंबौली की मिंगी समभाग पीसकर 3 माशा चूर्ण प्रतिदिन छाछ के साथ लेने से बवासीर में लाभ होता है।
तुलसी के रस में नीबू का रस तथा मिश्री मिलाकर थोड़ा पानी डालकर पीने से प्यास दूर होती है भोजन के बाद तुलसी के 4-5 पत्ते चबाने से मुंह से दुर्गंध आना बंद हो जाती है। तुलसी के रस में शहद मिलाकर चाटने से गले के दर्द में लाभ होता हे 2 ग्राम तुलसी के पत्तों का चूर्ण, 1 ग्राम काला नमक, आधा पाव दही में मिलाकर सेवन करने से पेचिस, आंव तथा मरोड़ में लाभ होता है।