भारतीय क्रिकेट में हालिया समय में काफी बदलाव देखने को मिले हैं। राहुल द्रविड़ के रूप में टीम इंडिया को नया हेड कोच मिला है। साथ ही रोहित शर्मा अब से टी20 और वनडे के कप्तान होंगे। विराट कोहली केवल टेस्ट क्रिकेट में ही टीम इंडिया के कप्तान हैं। विराट कोहली ने टी20 वर्ल्ड कप से ठीक पहले वर्कलोड मैनेजमेंट के चलते टी20 कप्तानी छोड़ने का ऐलान किया था। हालांकि उन्होंने वनडे कप्तान बने रहने की इच्छा जताई थी। इसके चलते कोहली से वनडे टीम की कप्तानी छीने जाने के बाद काफी विवाद भी हुआ है। बीसीसीआई और सेलेक्टर्स निशाने पर आ गए। फिर बीसीसीआई के मुखिया सौरव गांगुली का बयान आया था कि टी20 और वनडे में एक ही कप्तान होना चाहिए। इसलिए कोहली से वनडे की कप्तानी लेकर रोहित को दी गई।
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के मौजूदा अध्यक्ष सौरव गांगुली और पूर्व कप्तान विराट कोहली के बीच टकराव लगातार बरकरार है। टीम इंडिया की टेस्ट कप्तानी छोड़ने के बाद कोहली ने इन अटकलों को और तेज कर दिया सौरव गांगुली ने पहले कहा था कि उन्होंने विराट कोहली को टी20 का कप्तान बने रहने के लिए कहा लेकिन कोहली ने दादा की बातों को मना कर दिया। कोहली के मुताबिक जब उन्होंने टी20 फॉर्मेट की कप्तानी से इस्तीफा दिया तो सभी ने उनके फैसले को स्वीकार किया और किसी ने भी उनसे कप्तान बने रहने के लिए नहीं कहा।
इससे पहले भी सौरव गांगुली का विवादों मे नाम रहा है। टीम इंडिया के कप्तान रहते हुए उन पर कई खिलाड़ियों के करियर से छेड़छाड़ करने के आरोप लगे।हम आपको ऐसे ही 3 खिलाड़ियों के नाम बता रहे हैं जो प्रतिभावान होने के बावजूद ज्यादा नाम नहीं कमा सके और उन्हें असमय ही क्रिकेट से विदाई लेनी पड़ी पहले हे अजीत अगरकर दूसरे खिलाडी वीवीएस लक्ष्मण और तीसरे खिलाडी जेपी यादव इनका करियर भी दादा की वजह से बर्बाद हुव हे।
इसके बाद विवाद इतने चरम पर पहुंच गया था कि कोहली से वनडे की कप्तानी भी ली गई और अब उन्होंने टेस्ट की कप्तानी से भी छुट्टी ले ली।कई लोग सोशल मीडिया पर टीम इंडिया में चल रहे इस गतिरोध के लिए सौरव गांगुली को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं और तो कुछ कोहली और शास्त्री पर इस विवाद का ठीकरा फोड़ रहे हैं।
बात करे अजित अगरकर की तो अजीत अगरकर टीम इंडिया के ऐसे अनसंग हीरो माने जाते हैं जिन्होंने तमाम उपलब्धियां हासिल की लेकिन उन्हें इंटरनेशनल क्रिकेट में वो सम्मान हासिल नहीं हुआ जिसके वे हकदार थे।अजीत अगरकर 2003 की उस वर्ल्डकप टीम में शामिल थे जिसने फाइनल तक का सफर तय किया। लेकिन सौरव गांगुली के कारण ही उन्हें विश्वकप के एक मुकाबले में भी प्लेइंग इलेवन में मौका नहीं मिला।
वीवीएस लक्ष्मण की बात करे तो एक समय वनडे भी कमाल की बल्लेबाजी करते थे लेकिन उन्हें 2003 के वनडे वर्ल्डकप में मौका नहीं मिला। उनकी जगह दिनेश मोंगिया ने मार ली। इसके बाद लक्ष्मण तत्कालीन कप्तान सौरव गांगुली पर इतना नाराज हुए कि वे रिटायरमेंट लेने जा रहे थे।लक्ष्मण ने वनडे में कई यादगार पारियां खेलीं लेकिन कप्तान सौरव गांगुली का विश्वास नहीं जीत सके। अंत मे लक्ष्मण को टेस्ट बल्लेबाज का टैग लेकर करियर खत्म करना पड़ा।
जेपी यादवकी क्या बात करे वो तो 2003 की विश्वकप टीम में रिजर्व खिलाड़ियों में शामिल थे। उन्होंने कुल 12 वनडे खेले लेकिन 6 विकेट ही चटका सके।उन्होंने सौरव गांगुली की कप्तानी में ही डेब्यू किया था और आखिरी मैच भी 2005 में खेला.। इसके बाद उन्हें कभी टीम इंडिया में मौका नहीं मिला।उन्होंने 7 वनडे पारियों में 20 की औसत के साथ 81 रन बनाए जिनमें एक अर्धशतक भी शामिल है। जेपी यादव का उच्चतम स्कोर 69 रन है।उन्होंने आखिरी वनडे दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ खेला था। सौरव गांगुली ने उन पर ज्यादा भरोसा भी नहीं किया जिसके चलते उन्हें भविष्य में भारतीय टीम में मौका भी नहीं मिला।