अजमा के पत्ते और पुदीना को चाय में उबालकर पीने से खांसी दूर होती है।अजमो और लहसुन को सरसों के तेल में भूनकर तेल से मालिश करने से शरीर का दर्द दूर होता है।अजमो, तुलसी के पत्ते का चूर्ण और अदरक का चूर्ण बराबर मात्रा में लेकर उसमें शहद मिलाकर पीने से बुखार में आराम मिलता है।
अजमा के 1 से 2 पत्ते खाने के बाद या अन्य कारणों से सांसों की दुर्गंध या मुंह से दुर्गंध आने पर चबा सकते हैं।अजमो तीक्ष्ण, गर्म, हल्का, भूख बढ़ाने वाला, जठरांत्र, कड़वा, तीखा, पित्त बढ़ाने वाला, कामोत्तेजक, पेट फूलना, कफ, बवासीर, कृमि, उल्टी, दस्त, यकृत रोग को दूर करने वाला है।
हैजा शुरू होते ही अजमा का प्रयोग करने से अच्छे परिणाम प्राप्त होते हैं।अजना च्युइंग गम खाने से मुंह को ताजगी मिलती है और मुंह के अंदर के हानिकारक कीटाणु बाहर निकल जाते हैं और मसूढ़ों को मजबूत बनाने में मदद मिलती है।अजमा को पानी से अच्छी तरह धोकर सुखाकर, नींबू के रस से भरे एक साफ कांच के बर्तन में इस तरह रख दें कि अजमा बोतल या जार में डूब जाए और फिर जार या जार को धूप में खुला छोड़ दें।
जब नींबू का रस सूख जाए तो इसमें फिर से नींबू का रस मिलाएं और इसे सूखने दें।इस तरह नींबू के रस को सात बार डालें और सूखने दें।आखिरी बार इसे अच्छी तरह सुखाकर दूसरी साफ बोतल में रख लें।आधा चम्मच सुबह-शाम सुबह-शाम सेवन करने से पेट के रोग, पाचन क्रिया धीमी होती है और मर्दानगी बढ़ती है।
गठिया के अंदर अजमा के पत्तों के विरोधी भड़काऊ गुण दर्द से राहत दिलाने में मदद करते हैं साथ ही ठंड के मौसम में जब गठिया का दर्द बढ़ जाता है।फिर अजमा के पत्तों में कुछ तुलसी के पत्ते मिलाकर उसका रस बना लें, उसमें थोड़ा सा नींबू मिलाकर सेवन करने से आपकी डिहाइड्रेशन की समस्या दूर हो जाती है।
जिन महिलाओं को मासिक धर्म में ऐंठन होती है उन्हें चार चम्मच अजमो और 2 चम्मच सिंधव चीनी मिलाकर दिन में तीन बार आधा चम्मच खाना चाहिए।यदि मासिक धर्म संबंधी विकार हो तो 3-4 चम्मच अजमो और दो कप पानी मिलाकर आधा उबाल लें, फिर इसे छान लें और मासिक धर्म की अनियमितता को दूर करने के लिए मासिक धर्म से लगभग एक सप्ताह पहले सुबह-शाम गर्म-गर्म पीएं।
पीसी के ठंडा होने पर तिल के तेल में 1 चम्मच लहसुन और 2 चम्मच अजमा मिलाकर कान में लगाने से कान का दर्द दूर हो जाता है।साथ ही यह कानों की सफाई भी करता है।एक चम्मच अदरक और जीरा पाउडर में थोड़ा सा अदरक का पाउडर मिलाकर रोजाना सेवन करने से पाचन ठीक रहता है।इसके साथ ही अजमो एसिडिटी की समस्या को दूर करने में भी मदद करता है।
भूख और पाचन शक्ति को बढ़ाता है और पेट से संबंधित कई बीमारियों जैसे गैस, अपच, कब्ज आदि को दूर करने में मदद करता है।अगर आपको मधुमेह है तो आपको नियमित रूप से अजमा का पानी पीना चाहिए।यह मधुमेह को दूर करता है।साथ ही अजमा का पानी हृदय संबंधी बीमारियों से भी राहत दिलाता है।
एसिडिटी, उल्टी और पेट में सूजन की समस्या होने पर एक चम्मच अजमो, आधा चम्मच दालचीनी और काली मिर्च एक साथ लेना चाहिए और आधा चम्मच चीनी दिन में तीन बार गर्म पानी के साथ लेना चाहिए।अजमा का फूल खाने से आंतों में कीड़े लगना बंद हो जाता है गर्भवती महिला को अजमा खिलाने से उसका पाचन मजबूत होता है।
अजमनी फंकी के सेवन से सर्दी-खांसी ठीक हो जाती है।सीढि़यों पर अजमा या चूने के टपकते पानी में लसोटी लगाने से और उस पर पट्टी बांधने से पुराना एक्जिमा दूर हो जाता है।दो लौंग आधा चम्मच अजमा चूर्ण के साथ खाने से गर्भावस्था में उल्टी आना बंद हो जाती है।
पथरी निगलने के लिए दिन में दो बार सुबह-शाम आधा चम्मच अजमो और दो से तीन मूली के पत्तों को कांटे के साथ खाया जाता है।अजमो, सिंधव और हिंग वटी गेंद को मारकर मारते हैं।अजमो और गुड़ खाने से पित्ती दूर होती है।
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