आचार्य चाणक्य ने अपनी पुस्तक चाणक्य नीति में जीवन के कई महान संदेश दिए हैं। इसमें दिए गए शब्द जीवन को सही तरीके से जीने में बहुत सहायक हैं। चाणक्य ने एक ही बात कही है। उनके अनुसार 3 चीजें ऐसी हैं, जिसमे महिलाओं और पुरुषों को कभी भी शर्म नहीं करनी चाहिए।
चाणक्य ने अपनी नीति पुस्तक चाणक्य नीति दरपन के सातवें अध्ययन के दूसरे श्लोक में यह बात कही है। “धनाधन्यप्रयोगेषु विद्यासंघ्रणेषु च। अहारे व्यहारे च त्यक्कलताज्जह सुखी भव। ” आइए देखें कि चाणक्य के इस श्लोक में किन तीन बातों का उल्लेख है।
1. वित्तीय मामलों में शर्मिंदा न हों:
जो कोई भी अपने पैसे से संबंधित गतिविधियों से शर्मिंदा होता है, उसे वित्तीय नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। यदि कोई व्यक्ति ऋण चुकाना चाहता है, तो वह इसे वापस नहीं मांग सकता है, जिससे यह निर्धारित किया जाता है कि धन की हानि होगी।
2. खाने में शर्म न करें:
अगर किसी व्यक्ति को खाने में शर्म आती है, तो वह हमेशा भूखा रहता है। कई लोगों को दोस्तों या रिश्तेदारों के घर खाने में शर्म आती है और इस वजह से वे पूरे पेट से खाना भी नहीं खा पाते हैं और भूखे रह जाते हैं। इसलिए खाने में कभी शर्म न करें।
3. शिक्षा पाने में शर्म न करें:
एक अच्छा छात्र वह होता है जो अपने गुरु से बिना किसी शर्म या संकोच के सीखता है। जिस छात्र को सजा मिलने में शर्म आती है वह अज्ञानी रहता है। छात्र को अध्ययन के दौरान शर्म महसूस किए बिना प्रश्नों का उत्तर देना चाहिए ताकि वह भविष्य में किसी भी विषय से अनभिज्ञ न रहे।