अरस्तु की गिनती अपने समय के महान दार्शनिकों में होती है। वह सिकंदर के गुरु थे। अरस्तु ने करीब 400 किताबे लिखीं हैं जो विभिन्न विषयों जैसे कि भौतिकी, नाटक, संगीत,तर्कशास्त्र, राजनीतिशास्त्र, जीव विज्ञान आदि पर आधारित हैं।
अरस्तु के विचार काफी प्रभावशील थे। उनके विचारों में जीवन की सच्चाई थी। जो उन्हें उस समय काफी बेहतर बनाती थी। प्रसन्नता स्वयं के ऊपर निर्भर होती है। धैर्य कड़वा होता है लेकिन इसका फल मीठा होता है। जो व्यक्ति सबका मित्र है वो किसी का भी मित्र नहीं है। विषमता का सबसे बुरा रूप है विषम चीजों को एक सामान बनाना।
जिसने अपने भय पर विजय प्राप्त कर ली है वो स्वतन्त्र हो जाएगा। जो व्यक्ति एकांत में प्रसन्न है वो या तो जंगली जानवर है या फिर भगवान।बिना साहस के आप इस दुनिया में कुछ भी नहीं करेंगे, प्रतिष्ठा के बाद साहस ही दिमाग की महानतम विशेषता है।
मैं उस व्यक्ति को ज्यादा शूरवीर मानता हूं जो अपने दुश्मनों पर नहीं बल्कि अपनी इच्छाओं पर विजय प्राप्त कर लेता है। क्योंकि स्वयं पर विजय ही सबसे कठिन विजय होती है। मनुष्य प्राकृतिक रूप से ज्ञान कि इच्छा रखता है।
डर बुराई की अपेक्षा से उत्पन्न होने वाले दर्द है। कोई भी उस व्यक्ति से प्रेम नहीं करता जिससे वो डरता है। सभी भुगतान युक्त नौकरियां दिमाग को अवशोषित और अयोग्य बनाती हैं।
मनुष्य के सभी कार्य इन सातों में से किसी एक या अधिक वजहों से होते हैं: मौका, प्रकृति, मजबूरी , आदत, कारण, जुनून, इच्छा। बुरे व्यक्ति पश्चाताप से भरे होते हैं।